Organic Farming in Bundelkhand: भारत में पुराने समय से ही किसान जैविक खेती (Organic Farming) के मॉडल को अपनाते आ रहे हैं, जिससे कम जोखिम में फसलों का बेहतर उत्पादन मिल जाता है. बुंदेलखण्ड के एक प्रगतिशील किसान (Bundelkhand farmer, Banda) ने जैविक खेती में संसाधनों का संतुलन बिठाते हुये एक खास मॉडल आवर्तनशील खेती (Avartansheel Kheti) का परिचय दुनिया से करवाया है, जिससे खेती में लागत कम और मुनाफा डबल हो गया.


संतुलित खेती की इस तकनीक ने बुदंलेखंड के सैंकड़ों किसानों की तस्वीर तो बदली ही, साथ ही से फॉर्मुला इतना फेमस हुआ कि देश-विदेश के विशेषज्ञ और किसान इसके फायदों को समझने के लिये रिसर्च में जुट गये हैं.


प्रगतिशील किसान ने कायम की मिसाल
दरसअल उत्तर प्रदेश के हिस्से आने वाला बुंदेलखंड (Bundelkhand) इलाका कम पानी और सूखे इलाकों के कारण कुख्यात है. यहां बांदा (Banda, Uttar Pradesh) जिले के बडोखुर्द गांव के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह (Prograssive Farmer Prem Singh)  गांव में मौजूद 25 एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं. प्रेम सिंह ने 80 के दशक में करियर की शुरुआत की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एमबीए करने के बाद नौकरी करने लगे, लेकिन अच्छी तनख्वाह के बावजूद सब छोड़-छोड़ के घर लौट आये.


उस समय खेती इतनी लोकप्रिय नहीं होती थी, लेकिन इसके बावजूद प्रेम सिंह ने जैविक खेती के साथ-साथ पशुपालन का मॉडल भी अपनाया, जो कहीं तक एकीकृत कृषि प्रणाली जैसा ही था. इस प्रणाली के बीच कुछ खास तरीकों के जरिये संतुलन अपनाकर प्रेम सिंह पिछले 30 साल से खेती कर रहे हैं, जिसे आवर्तनशील खेती का नाम दिया गया है. 




क्या है आवर्तनशील खेती
शुरुआत से प्रेम सिंह ने अपने बागों, खेतों और पशुपालन के जरिये टिकाऊ कृषि (Sustainable Farming in Bundelkhand) का मॉडल अपनाया है, जिसमें लागत तो कम होती ही है, साथ ही नुकसान की संभावना भी नहीं रहती, क्योंकि वे जल संतुलन, वायु संतुलन, ताप संतुलन, उर्वरा और ऊर्जा संतुलन अपनाकर जरूरत के अनुसार ही संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं.


इस कृषि मॉडल के तहत प्रेम सिंह खेतों की सिंचाई के लिये आवश्यकतानुसार ही पानी की व्यवस्था करते हैं. इसके अलावा, खेतों के लिये खाद का इंतजाम पशुपालन, बकरी और मुर्गी पालन के जरिये हो जाता है, जिसके बदले में पशुधन को खेत से निकला चारा खिलाया जाता है. 




पशुओं और मुर्गियों से मिलते है मिट्टी के पोषक तत्व
दरअसल प्रेम सिंह अपने खेतों के लिये गाय, भैंस, बकरी और मुर्गियों के अपशिष्ट और गोबर का इस्तेमाल करते हैं. इसमें गाय और भैंस के गोबर से कार्बन, बकरी की खाद से मिनरल और मुर्गी की खाद से कैल्शियम और फास्‍फोरश की पूर्ति हो जाती है.


प्रगतिशील किसान अपने खेतों के लिये भरपूर मात्रा में खाद का इंतजाम करते हैं, क्योंकि आवर्तनशील खेती में बाजार से उर्वरकों और कीटनाशक खरीदने का कोई झंझट ही नहीं होता. जैविक खेती के नुस्खों के जरिये ही लागत कम करके उत्पादन को बढ़ाया जाता है.




विदेशों में फेमस हुआ संतुलन का नुस्खा
प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह (prograssive Farmers of Bundelkhand) आज पशुपालन और बागवानी में संतुलन का मॉडल अपनाकर दूसरे किसानों के लिये प्रेरणा स्रोत बने हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज सैंकड़ों किसान प्रेम सिंह के खेतों में इस खास तकनीक के गुर सीखने आते हैं.


इतना ही नहीं, अमेरिका, इजराइल और अफ्रीका जैसे समृद्ध देशों से भी किसानों और विशेषज्ञों का तांता भी प्रेम सिंह के खेतों में लगा रहता है. जाहिर है कि आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन (Cliamte Change) और संसाधनों की कमी (Lake of Resources) का सामना कर रही है, ऐसे में भारतीय किसान (Indian Farmer)  द्वारा ईजाद की गई आवर्तनशील खेती (Avartansheel Kheti) की ये तकनीक बड़े खर्चों को बचाने में कामयाबी मिल रही है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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