Oxytocin Injection Ban: दुधारु पशुओं की अच्छी सेहत और दूध उत्पादन से ही डेयरी फार्म की सफलता को आंक सकते हैं. ये व्यवसाय पूरी तरह से पशुओं की सेहत पर ही टिका है, इसलिए पशुओं को अच्छा खान-पान, पशु आहार और पशु चिकित्सकों से समय पर टीकाकरण करवाने की सलाह दी जाती है. वहीं ऐसे मामले भी देखे जाते हैं, जहां पशुओं की तंदुरुस्ती और अधिक दूध उत्पादन के लिए पशुपालक जबरन टीकाकरण (Animal Vaccination) करवाते हैं.


ये पूरी तरह से गैन कानूनी होता है, लेकिन कई डेयरी फार्म्स में अभी भी ये काम हो रहा है. ऐसा ही एक इंजेक्शन है ऑक्सीटोसिन, जो प्रतिबंधित है और सिर्फ पशु चिकित्सकों की सलाह पर ही लगाया जाता है, लेकिन कई डेयरी किसान इसका गलत इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करने वालों के लिए कानूनी कार्रवाई का प्रवाधान है. आइये आपको बता दें कि आक्सीटोसिन इंजेक्शन से कैसे पशुओं की सेहत डगमगा सकती है और क्यों इस पर प्रतिबंध लगाया है.


ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन


ऑक्सीटोसिन हार्मेन्स का मुख्य काम है गर्भवती पशुओं को प्रसव के समय गर्भाशय को संकुचित करके नवजात को बाहर आने में मदद करना, लेकिन सामान्य पशुओं पर इसके इस्तेमाल से दूध ग्रंथियों में उत्तेजना बढ़ जाती है और अप्राकृतिक रूप से दूध बहने लगता है. अकसर कमर्शियल डेयरी फार्म (Dairy Farming)  में पशुपालक ही ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बता दें कि पशुओं को इस इंजेक्शन की आदत हो सकती है.






पशुओं पर पड़ेगा बुरा असर


बिना एक्सपर्ट्स की निगरानी में ऑक्सीटोसिन का प्रयोग पशुओं पर करना घातक साबित हो सकता है. इसका बुरा असर ये होगा कि बिना इंजेक्शन के पशु दूध नहीं दे पाएंगे और भविष्य में सामान्य मात्रा में दूध देने में पशुओं को परेशानी भी हो सकती है. दरअसल कृत्रिम ऑक्सीटोसिन हार्मोन्स के बढ़ने से पशुओं में हार्मोनल असंतुलन पैदा हो सकता है, जिसका सीधा असर पशुओं की सेहत पर पड़ेगा. 


सरकार करेगी कार्रवाई


पशुओं में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल करने पर सरकार ने दंड का प्रावधान किया है. आईपीसी की धारा-429 और Prevention to Cruelty to Animal Act,1960 के सेक्शन-12 में इसे दंडनीय अपराध बताया गया है.


वहीं Food and Drug Adulteration Prevention Act, 1940 ने भी ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन को Schedule 'H' Drug की श्रेणी में रखा है. इसका मतलब ये हुआ कि सिर्फ पशु चिकित्सक के परामर्श और निगरानी में ही ऑक्सीटोसिन लगाया जा सकेगा, जबरन इसका इस्तेमाल करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है.


पशु पालकों का सलाह


पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (पशुपालन निदेशालय) बिहार ने नोटिफिकेशन जारी करके पशुपालकों को सलाह दी है कि वो गलती से भी खुद ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल पशुओं पर ना करें. पशु विशेषज्ञ या चिकित्सक की सलाह पर ही विशेष परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल किया जाए.



  • ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए पशुपालन विभाग के कार्यालय या पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, पटना (बिहार) में संपर्क कर सकते हैं.

  • अधिक जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर-0612-2226-49 पर भी संपर्क कर सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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