Banana Farming: फलों से लद जाएगा केले का पेड़, वैज्ञानिकों ने इजाद की पैसा बढ़ाने वाली उन्नत तकनीक, जानें
Banana Cultivation: साधारण तकनीक से पौधे बनाने में पौधों के ही खराब होने की संभावना बनी रहती है, लेकिन टिशू कल्चर से बने पौधों में ठीक प्रकार से विकास होता है.
Banana Tissue Culture Technique: भारत के ज्यादातर राज्यों में केले (Banana Production) की मांग साल भर रहती है. यही कारण है कि केले की बागवानी (Banana Cultivation) भी बड़े पैमाने पर की जाती है. देश में केले की 500 से ज्यादा किस्में उगाई जाती है, लेकिन इसकी बेहतरीन पैदावार के लिये टिशू कल्चर तकनीक (Tissue Culture Technique) से पौधे तैयार करने की सलाह दी जाती है. इस मामले में विशेषज्ञ बताते हैं कि टिशू कल्चर तकनीक से केले की खेती करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन इस तकनीक से पौधे तैयार करते समय कई सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, नहीं तो फायदा नुकसान का रूप भी ले सकता है.
क्या है टिशू कल्चर तकनीक (Tissue Culture Technique for Banana Plant Preparation)
टिशू कल्चर तकनीक पौधा तैयार करने की पूरी प्रक्रिया है, जिसमें ऊतक संवर्धन का काम किया जाता है.
- इसमें बढ़ते हुये पौधे के ऊपरी हिस्से से ऊतक यानी टिशू का छोटा सा हिस्सा लिया जाता है.
- इन ऊतकों को पोषक तत्व और प्लांट हार्मोन से बनी जैली में रखा जाता है.
- इन्हीं प्लांट हार्मोन्स और पोषक तत्वों से पौधों की जड़ों का विकास होता है और पत्ते बनने लगते हैं.
- पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया के बाद इन पौधों की रोपाई ठीक प्रकार से मिट्टी या बाग में कर देते हैं.
- इसके पूरी तरह से विकसित पेड़ के तने की मोटाई 5-6 सेमी तक हो जाती है.
- टिशू कल्चर से पौधे तैयार करते समय केले के पेड़ से 5 - 6 सेहतमंद पत्ते लिये जाते है और इनके बीच 5 सेमी की दूरी भी रखी जाती है.
- पौधे लगाने के बाद सख्त होने लगें तो पत्तों की 25-30 जड़ें बनना अनिवार्य है.
टिशू कल्चर के फायदे (Benefits of Tissue Culture)
साधारण तकनीक से पौधे बनाने में पौधों के ही खराब होने की संभावना बनी रहती है, लेकिन टिशू कल्चर से बने पौधों में ठीक प्रकार से विकास होता है.
- टिशू कल्चर में सही देखभाल करेंगे तो पौधों के मरने की संभावना नहीं रहती.
- टिशू कल्चर से बने केले के पौधे तेजी से बढ़ते हैं और अधिक फलों का उत्पादन भी देते हैं.
- इस तकनीक से बने रोगमुक्त होते हैं और फलों की क्वालिटी भी बेहतर रहती है.
- इस तकनीक से खेती करने 9-10 महीने में ही फल पककर तैयार हो जाते हैं, जिसके बाद हर 8-10 महीने में ही पेड़ दोबारा फलों से लद (Banana Production) जाता है.
- टिशू कल्चर तकनीक की मदद से केले की खेती (Banana Farming) करके किसान दो साल में ही बंपर मुनाफा कमा लेते हैं.
- इस तकनीक से खेती करने के लिये केले की नई और उन्नत किस्मों (Advanced Varieties) का प्रयोग करना बेहतर रहता है.
- इस तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सजावटी और फूलदार पौधों (Flower Plants) के लिये किया जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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