गेंहू, मक्का जैसी खेती को छोड़ अब किसानों का रुख नगदी फसल की ओर हो गया है. जिसमें केले की खेती किसानों को काफी फायदा पहुंचा रही है. केला एक ऐसी नकदी फसल है, जिसे देख के हर हिस्से में उगाया जा सकता है और इससे पूरे साल पैदावार लेकर अच्छी कमाई होती है. बाज़ार में इसकी मांग भी हर मौसम में बनी रहती है, ऐसे में केले की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है.


गर्मंतर एवं सम जलवायु केला की खेती के लिए सबसे अच्छी होती हैं, अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में केला की खेती ज्यादा सफल रहती हैं, जीवांश युक्त दोमट और मटियार दोमट भूमि, जिससे जल की निकासी उत्तम हो, वह भूमि सबसे अच्छी मानी जाती है. जिसमें खेत की मिट्टी का पीएच मान 6-7.5 तक केला की खेती के लिए अच्छा होता है.



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केले की खेती  के लिए मिट्टी का चयन बहुत आवश्यक होता है. इसके लिए पोषक तत्वों से युक्त खेत का चयन किया जाना चाहिए. मिट्टी की जांच बहुत आवश्यक है, ताकि जांच के आधार पर खेत की मिट्टी का उपचार किया जा सके. जिन पोषक तत्वों की कमी है, उनको पूरा करने में जांच से मदद मिलेगी. जिससे केले का बेहतर उत्पादन तो लिया ही जा सकेगा, मिट्टी के स्वास्थ्य का भी पता चल सकेगा. केले की खेती के लिए चिकनी बलुई मिट्टी काफी उपयोगी मानी जाती है. इसके लिए भूमि का पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए.


ज्यादा अम्लीय या क्षारीय मिट्टी इसकी खेती के लिए ठीक नहीं होती है. जहां पर केले की खेती कर रहे हैं, वहां पर जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए. यदि ऐसा है तो खेत में पानी निकासी की व्यवस्था किसानों को पहले से ही कर लेनी चाहिए. इसके अलावा केले की खेती के लिए खेत का चयन करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हवा का आवागमन कैसा है. बेहतर हवा का आवामन केले की खेती के लिए उत्तम होता है.


ये हैं केले की अच्छी किस्में


केले की खेती के लिए कई प्रकार की उन्नत किस्में मौजूद हैं. जिनमें सिंघापुरी के रोबेस्टा नस्ल के केले को खेती के लिए बेहतर माना गया है. इससे केले की अधिक पैदावार मिलती है. इसके अलावा केले की बसराई, ड्वार्फ, हरी छाल, सालभोग, अल्पान आदि प्रजातियां भी अच्छी मानी जाती गई हैं.




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केला रोपने से पहले ढेंचा, लोबिया जैसी हरी खाद की फसल उगाई जानी चाहिए, ताकि खेत में हरी खाद की पूर्ति हो सके. ये मिट्टी के लिए खाद का काम करती है. इसके बाद केले की खेती के लिए खेत को 2 से 4 बार जोतकर समतल कर लेना चाहिए. खेत में बने मिट्टी के ठेलों को तोड़ने के लिए रोटावेटर या हैरो से खेत जुताई करनी चाहिए. मिट्टी को उचित ढलाव दें. मिट्टी तैयार करते समय एफवाईएम की आधार खुराक डालकर अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए.


इस प्रकार करें खाद एवं उर्वरक का प्रयोग


बारिश का मौसम शुरू होने से पहले यानी जून के महीने में खोदे गए गड्ढों में 8.15 किलोग्राम नाडेप कम्पोस्ट खाद, 150-200 ग्राम नीम की खली, 250-300 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट 200 ग्राम नाइट्रोजन 200 ग्राम पोटाश डाल कर मिट्टी भर देनी चाहिए. इसके बाद समय से पहले से खोदे गए गड्ढों में केले की पौध लगा देनी चाहिए. इसके लिए हमेशा स्वस्थ्य व सेहतमंद पौधों का चुनाव करना चाहिए.


केले की पौध की रोपाई का समय


ड्रिप सिंचाई की सुविधा हो तो पॉली हाउस में टिशू कल्चर के तरीके से केले की खेती को साल भर तक किया जा सकता है. महाराष्ट्र में इसकी खेती के लिए खरीफ में मृग बाग जून व जुलाई के महीने अच्छे होते हैं. रबी के मौसम में अक्टूबर व नवंबर में केले की पौध रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय है.



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