दिल्ली से नेपाल तक के लोग ले रहे यूपी के केले की मिठास का स्वाद, सरकार भी कर रही ये बड़ी मदद
यूपी सरकार केले की खेती पर 38 हजार रुपये किसानों को अनुदान दे रही है. ओडीओपी में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर का केला शामिल है.
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में केले के अच्छे उत्पादन व गुणवत्ता के कारण इसकी मांग देश में ही नहीं, मित्र राष्ट्र नेपाल तक में हो रही है. तभी तो आने वाले सालों में केले की फसल प्रदेश के किसानों की किस्मत बदलने वाली साबित होगी. इसका सबसे ज्यादा फायदा उन जिलों के किसानों को होगा जहां काफी मात्रा में केले की खेती जा रही है. इसका सबसे अधिक फायदा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में शामिल कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, अमेठी और बाराबंकी जैसे तमाम जिलों के उन किसानों को मिलेगा जो पिछले करीब डेढ़ दशक यानि लगभग 15 साल से केले की खेती कर रहे हैं. इन किसानों के केले की गुणवत्ता भी अच्छी है.
देखा जा रहा है कि केंद्र के खाद्य उत्पाद निर्यात प्रसंस्कृत प्राधिकरण केला, आम, आलू, अनार और अंगूर सहित फलों और सब्जियों के करीब डेढ़ दर्जन उत्पादों का समुद्री के रास्ते से निर्यात बढ़ाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है. क्योंकि योगी सरकार के सात साल के कार्यकाल के दौरान यूपी की कनेक्टिविटी एक्सप्रेस-वे, एयरवेज और रेल सेवाओं के जरिये वैश्विक स्तर की हो गई है. इसे और बेहतर बनाए जाने का प्रयास सरकार कर रही है. ऐसे में लैंड लॉक्ड होना यूपी की प्रगति के लिए कोई खास मायने नहीं रखता. फिलहाल केंद्र की पहल का सबसे ज्यादा फायदा भी यूपी के किसानों को ही होगा. क्योंकि प्रदेश सरकार पहले से ही केले की खेती को प्रोत्साहन देती आ रही है.
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ओडीओपी में शामिल है कुशीनगर का केला
कुशीनगर को केले के उत्पादन में करीब 6 साल पहले ही ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) घोषित किया जा चुका है. यहां सिर्फ केले की खेती ही नहीं हो रही है, बल्कि कई स्वयं सहायता समूह प्रसंस्करण के जरिए केले के कई उत्पाद यानि जूस, चिप्स, आटा,आचार आदि और केले के रेशे से भी कई उत्पाद (हर तरह के पर्स, योगा मैट, दरी, पूजा की आसनी, चप्पल, टोपी, गुलदस्ता,पेन स्टैंड आदि) बना कर कमाई कर रहे हैं. योगी सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा में आयोजित इंटरनेशनल ट्रेड शो में भी कुशीनगर के लोग शामिल हुए थे. यहां पर उनके उत्पाद खूब पसंद किए गए. इसके अलावा सरकार प्रति हेक्टेयर केले की खेती पर करीब 38 हजार रुपये का अनुदान भी दे रही है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबंधित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा लखनऊ के निदेशक की अगुआई में वैज्ञानिकों की टीम लगातार केला उत्पादक क्षेत्रों में विजिट कर फसल में लगने वाले रोगों, कीटों के प्रकोप की निगरानी करती है. जिलों के कृषि विज्ञान केंद्र भी किसानों को लगातार फसल की संरक्षा और सुरक्षा के बारे में बताते हैं.
विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक है देश
एपीडा के आंकड़ों के अनुसार भारत विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान से मिले आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 3.5 करोड़ मीट्रिक टन के उत्पादन के साथ लगभग 9,61,000 हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती की जाती है. एपीडा के अनुसार वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है, लेकिन करीब 16 अरब के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक फीसदी है.