Crop Insurance Claim: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को उनकी रबी, खरीफ और बागवानी फसलों में हुए नुकसान के लिए आर्थिक सुरक्षा की गारंटी दी जाती है, लेकिन कई बार देखने को मिला है कि किसान अपनी फसल का बीमा करवाने के बावजूद नुकसान का सही क्लेम नहीं ले पा रहे हैं. पिछले साल महाराष्ट्र में फसल नुकसान के बाद किसानों को ना के बराबर मुआवजा मिला था, जिसने काफी सुर्खियां बटोरी थी, अब राजस्थान में भी ऐसा ही मामला सामने आया है यहां जिला बाड़मेर में किसानों को खरीफ फसल 2021 के दौरान हुए नुकसान का बेहद कम क्लेम मिला है, ये मामला इसलिए भी सुर्खियों में है, क्योंकि जिला बाड़मेर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का गृह जिला है. फिलहाल इस मामले में केंद्र सरकार ने मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है.


फसल बीमा योजना में बदलाव की जरूरत
कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान हितैषी बदलाव करने की घोषणा की थी. इस मामले में किसान तक की रिपोर्ट के हवाले से कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना करोड़ों किसानों के लिए सुरक्षा कवच के तौर पर काम कर रही है.


किसानों को फसल नुकसान मुआवजे की राशि कम मिलने पर कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने न्यूनतम क्लेम के संबंध में नीति बनाई है, जिसके तहत यदि फसल बीमा मुआवजे की राशि 1000 रुपये से कम है को बाकी का मुआवजा राज्य सरकार की ओर से वहन किया जाएगा और किसान को कम से कम 1,000 रुपये का फसल नुकसान मुआवजा मिलेगा.


अब बाकी राज्यों में भी किसानों को कम से कम 1000 रुपये का बीमा क्लेम दिलवाने के लिए राज्य सरकारों के साथ चर्चा करके केंद्र सरकार ही नीतिगत निर्णय लेगी. उन्होंने बताया कि इस संबंध में केंद्र सरकार ने बीमा कंपनियों को पत्र लिखकर फसल नुकसान मुआवजा देने के तौर-तरीके बदलने के भी निर्देश दिए हैं.


किसानों को क्यों मिलता है कम मुआवजा 
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को आज किसानों को आर्थिक संकट से निजात दिलाने वाली योजना के तौर पर देखा जाता है. इस स्कीम के तहत रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत, खरीफ फसलों के लिए 2% और बागवानी फसलों के लिए 5% ब्याज का भुगतान करने पर फसल की आर्थिक सुरक्षा की गारंटी दी जाती है, लेकिन कई बार किसानों को फसल में नुकसान के लिए बेहद कम क्लेम मिलता है.


इस पर किसान तक की रिपोर्ट में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि ऐसा हो सकता है कि छोटा रकबा होने के कारण किसानों को कम क्लेम मिला हो. इस स्कीम के तहत किसानों को मुआवजे का वितरण आवेदन के हिसाब से किया जाता है, हालांकि कई आंकड़ों में यह भी देखा गया है कि एक ही किसान कई खेतों का मालिक है.


इस बीच छोटे खेतों पर मुआवजे की राशि कम और बड़े खेतों पर मुआवजे की रकम ज्यादा होती है. यदि खेतों में मुआवजे की रकम कम आती है तो किसान किसानों में असंतोष देखने को मिलता है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार और बीमा कंपनियों के बीच परामर्श की सख्त जरूरत है.


बीमा कंपनी ने भी जारी किए आंकड़े 
खरीफ सीजन 2021 के लिए किसान को दिए गए फसल नुकसान मुआवजे के संबंध में कैलाश चौधरी ने किसान तक की रिपोर्ट में बताया कि केंद्र सरकार ने भी किसानों को हो रही असुविधा के संबंध में कार्यवाही करते हुए बीमा कंपनियों से फसल नुकसान पर वितरित किए गए क्लेम का ब्यौरा मांगा.


इस रिपोर्ट में पाया गया कि आवेदन के अनुसार बीमित फसल का क्षेत्रफल कम होने के चलते किसानों को क्लेम की राशि भी कम ही मिली. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जब कोई किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवाता है तो अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग आवेदन करना होता है और हर आवेदन के लिए प्रीमियम और पॉलिसी की राशि भी अलग-अलग होती है, जो फसल और बीमा क्षेत्र के आधार पर निर्धारित की जाती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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