बासमती कैसे बन गया अन्य भारतीय चावलों के विलुप्ति का कारण?
जो लोग आज बासमती चावलों की खुशबू से मोहित हो जाते हैं, अगर उन्होंने एक बार भी गोविन्द भोग चावलों की खुशबू सूंघ ली तो हैरान हो जाएंगे.
भारत में अगर आज आप किसी से पूछेंगे कि कौन सा चावल सबसे बेहतर होता है तो सामने वाला व्यक्ति बिना सोचे बोल देगा बासमती. लेकिन क्या ये सच है? क्या सिर्फ बासमती ही एक चावल है जो सबसे बेहतर है? शायद नहीं. क्योंकि भारत में एक समय में ऐसी कई चावल की किस्में थीं, जो अपने स्वाद और खुशबू के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती थीं. आज हम आपको इन्हीं चावलों की कहानी बताएंगे.
खुशबू के मामले मे गोविन्द भोग का कोई जोड़ नहीं
जो लोग आज बासमती चावलों की खुशबू से मोहित हो जाते हैं, अगर उन्होंने एक बार भी गोविन्द भोग चावलों की खुशबू सूंघ ली तो हैरान हो जाएंगे. इस चावल की खुशबू ऐसी होती है कि अगर ये किसी के घर में पक रहा हो तो पूरे मोहल्ले को पता चल जाता है कि किसी के यहां गोविन्द भोग चावल पक रहा है. ये चावल पश्चिम बंगाल के पूर्वी जिले में बहने वाली नदी दक्षिण बेसिन के किनारे वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है. फिलहाल देश में ये चावल पश्चिम बंगाल के हुगली, बीरभूम, बांकुरा और पुरुलिया में उगाया जाता है. वहीं बिहार के कैमूर और छत्तीसगढ़ के सरगुजा में भी इस चावल की खेती होती है.
काला नमक तो इससे भी ऊपर है
आज के समय में अगर किसी भारतीय से काला नमक कहा जाए तो वो नमक वाला काला नमक समझेगा. लेकिन एक समय में काला नमक चावल की किस्म पूरे भारत में लोकप्रिय थी. इस चावल को किसी खास मौके पर ही पकाया जाता था. क्योंकि ये काफी महंगा होता है. कहते हैं कि गोविन्द भोग चावल की खुशबू को किसी चावल की खुशबू मात दे सकती है तो वो काला नमक ही है. ये चावल खासतौर से नेपाल के कपिलवस्तु और उसी से सटे पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाके में उगाया जाता है. इस चावल की लोकप्रियता एक समय में इतनी थी कि इसे संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन ने संसार के विशिष्ट यानी खास चावलों की सूची में जगह दी है.
इसे बुद्ध का चावल भी कहते हैं
कहा जाता है कि ये चावल खुद महात्मा बुद्ध ने किसानों को दिया था. दरअसल, कहानी है कि एक बार जब महात्मा बुद्ध लुम्बिनी के जंगलों से गुजर रहे थे तो उन्होंने वहां के ग्रामीणों को काला नमक चावल के बीज देते हुए कहा था कि इन बीजों से उगने वाले चावल की खुशबू तुम्हें मेरी याद दिलाती रहेगी. सोचिए अभी तो हमने आपको सिर्फ दो चावल की किस्मों के बारे में बताया है, इस तरह की कई किस्में भारत में उगाई जाती थीं, जो अब धीरे धीरे बासमती की वजह से विलुप्त हो रही हैं.
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