22 करोड़ से अधिक किसानों को मिले सॉइल हेल्थ कार्ड, क्यों ये कार्ड बनवाना है समझदारी
Soil Health Card Scheme: वर्ल्ड सॉइल डे पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि देश के 22 करोड़ से अधिक किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड बांटे जा चुके हैं. इस आर्टिकल में विस्तार से जानकारी देंगे.
Soil Health Card: खेती पूरी तरह से मिट्टी पर आधारित होती है. हर फसल की खेती अलग-अलग मिट्टी में की जाती है और मिट्टी की अपनी ही खास बात होती है. मिट्टी के इस विज्ञान को पहले समझना थोड़ा कठिन था, लेकिन सरकार की सॉइल हेल्थ कार्ड यानी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की मदद से अब किसान भी अपनी मिट्टी से जुड़ी हर बात जान सकते हैं कि मिट्टी के लिए कौन सी फसल, खाद-उर्वरक सही हैं या कितनी मात्रा में संसाधनों का इस्तेमाल करना है आदि. एक्सपर्ट्स बताते है कि सॉइल हेल्थ कार्ड की मदद से खेती करने पर बीज, खाद, उर्वरक और पानी की भी बचत होती है, क्योंकि इस कार्ड में सभी चीजों के इस्तेमाल की मात्रा भी बताई जाती है. अधिक जानकारी के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड लेकर कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करने की हिदायत दी जाती है. कम शब्दों में बताएं तो सॉइल हेल्थ कार्ड मिट्टी के सभी गुण-धर्म बता देता है और इनकी जानकारी के लिए मिट्टी का सैंपल सॉइल टेस्ट लैब में भेजा जाता है. आइए जानते हैं विस्तार से.
देश के हर कोने में मिल जाएंगी मृदा जांच लैब्स
5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस पर राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि देश के लगभग 22 करोड़ से अधिक किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं. इस काम को आसान बनाने के लिए देश में 500 सॉइल टेस्ट लैब, मोबाइल सॉइल टेस्ट लैब, 8811 मिनी सॉइल टेस्ट लैब और 2395 ग्रामीण स्तर पर सॉइल टेस्ट लैब बनाई गई हैं.
देश में अभी तक 22 करोड़ से अधिक #SoilHealdhCard वितरित किये जा चुके हैं।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 5, 2022
लगभग 500 मृदा परिक्षण प्रयोगशालाएं, 113 मोबाइल मृदा परिक्षण प्रयोगशालाएं, 8811 मिनी मृदा परिक्षण प्रयोगशालाएं और 2395 विलेज लेवल मृदा परिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।#WorldSoilDay pic.twitter.com/w7i8aCEPfk
कैसे होती है मिट्टी की जांच
एक्सपर्ट्स की मानें तो मिट्टी की सेहत को जांचने के लिए 12 पैरामीटर होते हैं. इनमें N, P, K (मैक्रो पोषक तत्व); S (माध्यमिक पोषक तत्व); Zn, Fe, Cu, Mn, Bo (सूक्ष्म पोषक तत्व); और PH,EC,OC (भौतिक पैरामीटर) को रखा जाता है. सॉइल हेल्थ कार्ड में इन सभी पैरामीटर की जानकारी लिखी होती है यानी मिट्टी में किस तत्व की कमी, किस तत्व की अधिकता है. कितना खाद-उर्वरक इस्तेमाल करने पर कमी पूरी हो जाएगी आदि. जब ये सभी जानकारियां किसानों को मिलती हैं तो खेती में संतुलित खाद, बीज, उर्वरक का इस्तेमाल होने लगता है. इससे फसल में नुकसान की संभावना कम हो जाती है. सीमित मात्रा में हर चीज का इस्तेमाल होता है तो खर्च भी बच जाता है. इस तरह सॉइल हेल्थ कार्ड खेती की लागत को कम करके मुनाफा बढ़ाने में मदद करता है.
कैसे बनता है सॉइल हेल्थ कार्ड
मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाना बेहद आसान है. सबसे पहले मृदा स्वास्थय कार्ड योजना की ऑफिशियल साइट soilhealth.dac.gov.in पर जाना होगा.
- होम पेज पर Login का ऑप्शन दिए गया है, इस पर क्लिक करें.
- नया वेब पेज खुलने पर अपने राज्य को चुनें और Continue के ऑप्शन पर क्लिक करें.
- यहां Registration New User के ऑप्शन पर क्लिक करें और मांगी गई सभी जानकारियां भरकर Submit कर दें.
- अब किसान अपनी Registration Id और Password डालकर Login करें.
सैंपल इकट्ठा करें
सॉइल हेल्थ कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद अधिकारी आकर किसान के खेत से मिट्टी का सैंपल ले जाते हैं.
- इस मिट्टी के सैंपल की गुणवत्ता की जांच मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में की जाती है.
- सभी जांच के बाद लैब के एक्सपर्ट्स एक रिपोर्ट कार्ड बनाते हैं, जिसे मृदा स्वास्थ्य कार्ड कहते हैं.
- इस कार्ड में मिट्टी की कमी को दूर करने के लिए सुधार के उपाय और कई अहम जानकारियां होती हैं.
कैसे डाउनलोड करें मृदा स्वास्थ्य कार्ड
मृदा स्वास्थ्य कार्ड डाउनलोड करने के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम की ऑफिशियल वेबसाइट soilhealth.dac.gov.in पर जाएं.
- होम पेज पर Farmers Corner के सेक्शन में जाएं और Print Soil Health Card पर क्लिक करें.
- यहां राज्य, जिला, गांव और किसान का नाम समेत मांगी गई जानकारियां दर्ज करके Search करना होगा.
- इस तरह स्क्रीन पर Soil Health Card खुल जाएगा, जिसका प्रिंट ले सकते हैं.
इतना ही नहीं, मिट्टी का सैंपल अधिकारी के हवाले करने के बाद भी Track Your Sample पर क्लिक करके भी जान सकते हैं कि जांच हुई या नहीं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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