Fertilizer for Sweet Potato Farming: भारत में कंद फसलों (Root Vegetables) की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. खासकर आलू, गाजर, मूली, अदरक, शकरकंद और जिमीकंद जैसी सब्जियों की मांग बाजार में बनी रहती है. बात करें शकरकंद (Sweet Potato) के बारे में, तो इसमें मौजूद विटामिन ए, विटामिन सी समेत कई गुण सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद होते हैं.
यही कारण है कि बारिश के बाद बाजार में शकरकंद की मांग (Sweet Potato Demand) बढ़ जाती है. इसका मीठा स्वाद और मिट्टी की भिनी खुशबू के कारण शहरों में लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं, इसलिये किसानों को भी अच्छी क्वालिटी का उत्पादन (Sweet Potato Production) देना एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है.
इन राज्यों में होती है शकरकंद की खेती (Sweet Potato Farming in India)
भारत को शकरकंद का छटवां बड़ा उत्पादक देश का खिताब प्राप्त है. यही कारण है कि किसानों के लिये भी अच्छी क्वालिटी के कंद, खाद और उर्वरकों की मदद से खेती करने की सालह देते हैं. शकरकंद एक बेहद आम कंद फसल है, जिसकी खेती आलू की तरह ही होती है. देश के ज्यादातर राज्यों के किसान अच्छी आमदनी के लिये शकरकंद की फसल जरूर लगाते हैं. खासकर उड़ीसा(Odisha), बिहार (Bihar), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), पश्चिम बंगाल (West Bengal) व महाराष्ट्र (Maharashtra)जैसे राज्यों में बेहतर ढंग से प्रबंधन कार्य करके शकरकंद का क्वालिटी उत्पादन लेते हैं.
इन बातों का रखें खास ख्याल (Precautions During Sweet Potato Cultivation)
शकरकंद एक कंद फसल है, जो मिट्टी से ही पोषण लेकर जमीन के अंदर ही पैदा होती है, इसलिये इसकी खेती करते समय अच्छी मात्रा में खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिये.
- जमीन में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिये जैविक विधि या विशेषज्ञों की सलाह पर रासायनिक खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
- संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों और खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है और शकरकंद का बेहतर उत्पादन मिलती है.
- इसकी बुवाई के लिये अच्छी क्वालिटी के कंदों का ही इस्तेमाल करना चाहिये. कंदों की रोपाई से पहले बीजोपचार करने की सलाह भी दी जाती है.
शकरकंद की फसल में पोषण प्रबंधन (Nutrition Management for Sweet Potato Crop)
जैसा कि कृषि विशेषज्ञ की हमेशा यही सलाह देते है कि फसल और मिट्टी में संतुलित मात्रा में ही पोषण प्रबंधन (Nutrition Management in Crop) करना चाहिये. अब मिट्टी को कितनी मात्रा में खाद-उर्वरक और बीज की जरूरत है, इसके लिये मिट्टी की जांच (Soil Test) करवाने की सलाह भी दी जाती है.
- शकरकंद की बुवाई के लिये मिट्टी को ठीक प्रकार सुखाकर ही रोपाई का काम करना चाहिये. कंदों की रोपाई से पहले खेत तैयार करते समय नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फोरस की संतुलित मात्रा का प्रयोग करें.
- शकरकंद का उत्पादन बढ़ाने में वर्मी कंपोस्ट (Vermi Compost Fertilizer) से लेकर गोबर की साधारण जैविक खाद और संतुलित मात्रा में रासायनिक खाद अहम भूमिका अदा करते हैं.
- करीब एक हेक्टेयर खेत में शकरकंद उगाने के लिये 20-25 टन गोबर की अच्छी तरह सड़ी या केंचुआ खाद का प्रयोग करना फायदेमंद रहता है.
- ध्यान रखें कि रोपाई से पहले खेत में ज्यादा नाइट्रोजन का इस्तेमाल ना करें, बल्कि कम नाइट्रोजन (Nitrogen in Crop) वाली खाद को सहूलियत दें.
- गोबर की खाद (Organic Fertilizer)के अलावा खेत में मिट्टी की जांच के आधार पर कम से कम 40 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो पोटाश और लगभग 70 किलो फास्फोरस भी जुताई के बाद खेत में डालना चाहिये.
- शकरकंद के अंकुरण के बाद पौधों के विकसित होने की अवस्था में भी फसल को अच्छी सिंचाई (Irrigation in Sweet Potato) और खाद-उर्वरक की जरूरत होती है.
- ऐसे में 40 किलो यूरिया (Urea for Sweet Potato) प्रति हेक्टेयर के हिसाब से फसल में डालने पर पौधों की बढ़वार तेज होती है और फलों का भी बेहतर उत्पादन मिल सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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