Commercial Farming: आज के आधुनिक दौर में लगभग सारे काम तकनीक से जुड़ चुके है. विज्ञान की मदद से हर सेक्टर में डेवलपमेंट चल रहा है. कृषि क्षेत्र भी इस विकास से अछूता नहीं है. कृषि क्षेत्र में नई-नई तकनीक और मशीनों को इस्तेमाल से लागत को कम करने का काम किया जा रहा है. क्रॉप साइंस की मदद से फसलों का बेहतर उत्पादन हासिल करना आसान हुआ है. वैज्ञानिकों का मानना है कि खेती-किसानी में न्यूक्लियर और रेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल करके नासिर्फ फसल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि उपज की गुणवत्ता में भी सुधार ला सकते हैं.


इन तकनीकों से उपज का भंडारण करने में भी काफी मदद मिलेगी. फिलहाल भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने रेडिएशन तकनीक से अलग-अलग फसलों की 56 वैरायटी इजाद की है, जिनसे व्यवसायिक खेती की जा सकती है. ये अच्छी क्वालिटी की उपज और ज्यादा पैदावार लेने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मददगार साबित होंगी.


क्यों कम हो जाता है फसल का उत्पादन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के कोच्चि में आयोजित 'एनआईसी-स्टार 2023' कॉन्फ्रेंस में रेडिएशन तकनीक पर विस्तार से चर्चा हुई. इस कांफ्रेंस में 'नेशनल एसोसिएशन फॉर एप्लिकेशन्स ऑफ रेडियोआइसोटोप्स एंड रेडिएशन इंडस्ट्री' (NAARRI) के अधिकारी भी मौजूद थे. इस दौरान NAARRI के सेक्रेटरी पी.जे. चांडी ने बताया कि फसल का उत्पादन घटने के पीछे चार चीजें जिम्मेदार है. 



  • खेती करने का तौर-तरीका गड़बड़ होना

  • पानी की उपलब्धता में कमी

  • कीट और बीमारियों का प्रकोप

  • फसल की गलत वैरायटी का इस्तेमाल करना


उन्होंने बताया कि किस जगह कौन-सी किस्म से खेती करना चाहिए, इस बारे में जानकारी का अभाव होने से खेती का उत्पादन कम हो जाता है. बाकी कारणों से भी फसल में नुकसान की संभावना बढ़ जाती है.


न्यूक्लियर तकनीक से मिलेगा सही उत्पादन
अपने संबोधन में पी.जे. चांडी ने यह भी बताया कि फसल की कटाई के बाद उपज का प्राप्त करने और उसका सुरक्षित तरीके से भंडारण करना भी अपने-आप में बड़ी चुनौती है. खेती में आ रही इस तरह की कई समस्याओं को न्यूक्लियर तकनीक की मदद से सुलझाया जा सकता है.


इस तकनीक से बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई ने भी एक खास शोध किया है. यहां रेडिएशन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अलग-अलग फसलों की 56 किस्में इजाद कर ली गई है. इन किस्मों को म्यूटाजेनेसिस और क्रॉस ब्रिडिंग के जरिए तैयार किया गया है, जो कमर्शियल फार्मिंग से उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगी.


कौन-कौन सी किस्में हुईं इजाद
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर और रेडिएशन तकनीक से मूंगफली की 16 वैरायटी, मूंग दाल की 8 वैरायटी, सरसों की 8 वैरायटी, चावल की 7 वैरायटी, अरहर और उड़द की 5 वैरायटी, लोबिया और सोयाबीन की 2 वैरायटी इजाद की हैं.


साथ में अलसी के बीज, सूरजमुखी और जूट की एक-एक वैरायटी शामिल हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो रेडिएशन तकनीक से इजाद इन वैरायटी से खेती करने का सबसे बड़ा फायदा उत्पादन के समय दिखेगा, क्योंकि इन किस्मों से खेती करने पर बड़ा आकार का फसल उत्पादन और अधिक पैदावार होगी.


ये वैरायटी फसल उत्पादन की लागत को भी कम करेंगी, क्योंकि इनमें पानी की खपत कम ही है और कीट-रोगों का प्रकोप भी कम रहता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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