Bhang Ki Kheti In Himachal Pradesh: किसान अलग अलग तरह की खेती कर लाखों रुपये की कमाई करते हैं. कई फल,  सब्जी, फूलों की ऐसी ही खेती है, जोकि किसानों की कमाई के लिए अच्छा जरिया है. भांग की खेती भी किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है. आमतौर पर भांग का पेड़ झाड़ियों में पाया जाता है. लोग इसे हथेली से घिसकर नशा करते हैं. मगर भांग की खेती को सूझबूझ और बेहतर तरीके से कर किसान अपनी इनकम बढ़ा सकते हैं. 


हिमाचल में भांग की खेती की तैयारी


हिमाचल प्रदेश में विदेशों से बड़ी मात्रा में सेब आ रहा है. बाहर का सेब क्षेत्रीय सेब के मुकाबले सस्ता है. इसलिए लोग आयातित सेब को अधिक खरीद रहा है. सेब के कारोबार में भी किसानों को खासा लाभ नहीं मिल रहा है. अब उत्पादक संघ अलग तरह की खेती को बढ़ावा देने के लिए भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने की मांग का कर रहा है. साथ ही राज्य सरकार पर वित्तीय कर्ज भी बढ़ा है. इसी को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार में अब भाग की खेती को वैध बनाने की कवायद पर विचार शुरू हो गया है. 


1000 करोड़ का होगा राजस्व


भांग की वैध खेती होने पर अवैध कारोबार पर चोट पड़ेगी. अभी तक भांग राजस्व का सोर्स नहीं है. वैध खेती होने पर राज्य सरकार सालाना इससे 1000 करोड़ रुपये तक कमा सकता है. राज्य में इसकी भारी मांग है. किसान इसका लाभ ले सकते हैं.  


अफीम की खेती भी मुनाफे का सौदा


उत्पादक राज्य सरकार से अवैध खेती को वैध दिए जाने की मांग कर रहे हैं. उत्पादकों का कहना है कि अवैध की खेती से राज्य के किसानों की इनकम बढ़ जाएगी. अभी तक किसान कई जगह पर अवैध खेती करते हैं. इसका लाभ राज्य सरकार को नहीं मिलता है. विशेषज्ञोें का कहना है कि भारतीय अफीम कोडीन सबसे ज्यादा पाई जाती है. यह 3.5 प्रतिशत है, जबकि तुर्की अफीम मेें 1 प्रतिशत से कम कोडीन, ईरानी अफीम में 2.5 प्रतिशत तक कोडीन पाया जाता है. उत्तराखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने भी अफीम की खेती की अनुमति दी है. 



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