Cardamom Farming: कोरोना काल से ही भारत में जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल के साथ-साथ औषधीय फसलों की खेती (Medicinal Farming) को बढ़ावा दिया जा रहा है. अब किसान भी कम लागत में औषधीय खेती (Herbal Farming) करके काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. दवा कंपनियां और आयुर्वेदिक संस्थान इन जड़ी-बूटियों को अच्छे दामों पर खरीदते हैं.


यही कारण है कि खाली पड़ी बंजर या कम उपजाऊ जमीन पर औषधीय खेती फायदे का सौदा साबित होती है. इन्हीं औषधियों में शामिल है बड़ी इलायची (Big Cardamom) जो गुण और कमाई  के लिहाज से हरी इलायची (Green Cardamom) से कहीं ज्यादा फायदेमंद है. अभी तक तो इसका इस्तेमाल खांसी-जुकाम या बुखार जैसी बीमारियों के लिये किया जा रहा था, लेकिन अब चाय से लेकर मिठाईयों तक इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है, इसलिये किसान भी अब बड़ी इलायची की खेती (Big Cardamom Farming) के जरिये अच्छी पैदावार और अच्छी आमदनी ले  सकते हैं.


मिट्टी और जलवायु
वैसे तो बड़ी इलायची की खेती के लिये हर तरह मिट्टी सही रहती है, लेकिन इसका अच्छी क्वालिटी का उत्पादन लेने के लिये 4.5 से लेकर 7.2 पीएम मान वाली काली गहरी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है. किसान चाहें तो बड़ी इलायची की जैविक खेती भी कर सकते हैं. मिट्टी की जांच के आधार पर नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों और जैव उर्वरकों का प्रयोग करके भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं. 10 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस यानी गर्म जलवायु में बड़ी इलायची के पौधे खूब पनपते हैं. इसकी खेती के लिये अगस्त से अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है.



नर्सरी लगायें
बड़ी इलायची के पौधे नर्सरी में तैयार किये जाते हैं.यहां सबसे पहले बीजों का उपचार करके 10-10 सेंटीमीटर की दूरी पर बुवाई की जाती है. इससे पहले नर्सरी को गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट से तैयार किया जाता है. एक हैक्टेयर खेत के लिये नर्सरी लगाने पर 1 किलोग्राम बीजदर काफी रहती है. बता दें कि बुवाई के बाद बीजों का अंकुरण होने पर घास-फूल की पुआल से ढंक दिया जाता है, जिससे पौधों का तेजी से विकास हो सके. इसके बाद खेतों को जैविक विधि से तैयार करके बड़ी इलायची के पौधों की रोपाई कर दी जाती है. 


खेत की तैयारी
बड़ी इलायची के पौधों की रोपाई से पहले खेतों को गहरी जुताई लगातर तैयार करना चाहिये. इसके बाद 30 सेमी की लंबाई-चौड़ई और गहराई वाले गड्ढों की खुदाई की जाती है. इसके बाद मिट्टी की जांच के आधार पर खेत में 1 किलोग्राम माइक्रो भू पावर , 1 किलो माइक्रो फर्ट सिटी कम्पोस्ट, 1 किलो सुपर गोल्ड मैग्नीशियम , 1 किलो सुपर गोल्ड कैल्सी और 1 किलो माइक्रो नीम को मिट्टी के साथ मिलाकर गड्ढों में डाल दें. किसान चाहें तो गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट के साथ भी इन सभी उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं.


इसके बाद ही पौधों की रोपाई की जाती है. बता दें कि एक हैक्टेयर खेत में करीब 400 पौधे लगाये जा सकते हैं. ये खेती फलों के बागों में काफी पैसा कमाकर दे सकती है, क्योंकि ये पौधे छायादर स्थान पर ही तेजी से बढ़ते हैं. ऐसे में फलदार पेड़ों के बीच में बड़ी इलायची की खेती करना मुनाफेदार साबित हो  सकता है. 




इस तरह करें देखभाल
बड़ी इलायची के पौधों की रोपाई के बाद सबसे अहम काम शुरू होता है. इसके बाद समय-समय पर पौधों की सिंचाई करके मिट्टी में नमी बनाये रखनी होती है. 



  • इसके लिये ड्रिप सिंचाई को अपना सकते हैं. ध्यान रखें कि पौधों में जल भराव ना हो. इसके लिये जल निकासी का व्यवस्था भी कर लें. 

  • फसल को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिये समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहे. इससे जड़ों में भी ऑक्सीजन का संचार होता है और पौधों का विकास भी तेजी से होता है.

  • बड़ी इलायची की फसल में कीट-रोगों की रोकथाम के लिये नीम और गौ मूत्र से बने कीटनाशकों का छिड़काव ज्यादा असरकारी रहता है.


बड़ी इलायची से कमाई
बड़ी इलायची की अंतरवर्तीय (Co-cropping)  या मिश्रित खेती (Mixed Farming)  करने पर किसानों को ज्यादा  लाभ होगा. खासकर बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops Farming)  करने वाले किसान फल और सब्जियों की फसल के साथ बड़ी इलायची के पौधों की रोपाई कर सकते हैं. इसकी रोपाई के बाद 3 से 4 साल के अंदर 500 से 700 किलोग्राम उत्पादन (Production of Cardamom) मिलने लगता है, जो बाजार में करीब 900 से 1200 रुपये किलो (Price of Big Cardamom)  तक बिकता है. इस तरह बड़ी इलायची की खेती करके सालाना 2 से 3 लाख तक की आमदनी ले सकते हैं.  


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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