Millets 2023: श्री अन्न से बदल जाएगी इस राज्य के किसानों की किस्मत, मिलेट प्रोडक्शन के साथ इनकम बढ़ाएगा सरकार का ये रोड मैप
Shri Anna: बिहार के चौथे कृषि रोड मैप में श्री अन्न यानी ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सांवा, मडुआ की खेती को बढ़ावा देने के लिए 21 फरवरी को आयोजित किसान समागम में बड़ा ऐलान होने की उम्मीद है.
Mota Anaj: केंद्रीय बजट 2023-24 में मोटा अनाज को लेकर कई बड़ी घोषणाएं हुईं. मोटा अनाज को श्री अन्न के तौर पर नई पहचान मिली और इसे बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना भी चलाई गई है. राज्य सरकारें भी अपने लेवल पर मोटा अनाज को प्रोत्साहित कर रही हैं. बिहार सरकार ने भी अपने कृषि के चौथे रोड मैप में ड्राफ्ट के तौर पर मोटे अनाजों को भी शामिल किया है. राज्य में ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सांवा, मडुआ की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा. किसानों को भी मोटे अनाजों के फायदे गिनाए जाएंगे और ये खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. इस प्लान को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए 21 फरवरी को कृषि समागम में बड़ी घोषणा होने की संभावना है.
मोटे अनाजों के लिए परफेक्ट बिहार
मोटे अनाजों को बिहार के उन इलाकों में उगाए जाने की योजना है, जहां बारिश बहुत ही कम होती है. फिलहाल, पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भोजपुर जिले में ज्वार और बाजरा की खेती की जा रही है, लेकिन गया रोहतास, कैमूर और जहानाबाद के पहाड़ी इलाकों को मोटा अनाज की खेती के लिए काफी अनुकूल बताया गया है.
उत्तरी बिहार का समस्तीपुर, सीतामढ़ी और वैशाली में भी मडुआ की खेती की जा रही है. यहां मोटा अनाज के लिए मिट्टी और जलवायु तो एक दम परफेक्ट है, लेकिन अभी भी बिहार मिलेट प्रोडक्शन इंडेक्स में काफी पीछे है.
कैसे मिलेट हब बनेगा बिहार
इस बार के बजट में मिलेट को लेकर कई अहम घोषणाएं की गई है. भारत के प्रस्ताव पर ही इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट घोषित किया गया है. इसी से प्रेरित होकर बिहार के चौथे कृषि रोड मैप में मिलेट को शामिल किया है.
इस बीच एक और बड़ी चुनौती किसानों के आगे है कि बिहार के बाजार में गेहूं, धान , मक्का, दलहन और तिलहन की धाक है और मिलेट की उत्पादकता इन नकदी फसलों से एक-चौथाई. इसी चुनौती को दूर करने के लिए बिहार सरकार ने कृषि के चौथे रोडमैप में मिलेट को प्राथमिकता से जगह दी है.
कम खर्च वाली खेती
जाहिर है कि मौसम की प्रतिकूलताओं के बीच भी मोटा अनाज की बढ़िया उपज ले सकते हैं. एक तरफ धान और गेहूं की खेती में खाद, उर्वरक से लेकर सिंचाई और निगरानी का काफी खर्च आता है तो वहीं मोटा अनाज कम पानी, बिना खाद-उर्वरक और मौसम की प्रतिकूलताओं के बीच 20 प्रतिशत कम लागत में ही पैदा हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार राज्य के किसानों को सांवा और कोदो उगाने के लिए प्रेरित करेगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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