ऑफ सीजन में भी टमाटर-शिमला उगा लेता है ये किसान, इस आधुनिक तकनीक से मिल रहा बंपर उत्पादन
Tomato Farming: कटिहार के किसान अरुण भगत नई तकनीक का इस्तेमाल करके ऑफ सीजन में टमाटर और शिमला मिर्च उगा रहे हैं और बाजार की मांग को पूरा कर रहे हैं. इस प्रयासों के लिए अरुण भगत को खूब सराहना मिली है.
Capsicum Cultivation: धान, गेहूं, मक्का, गन्ना की गिनती प्रमुख नकदी फसलों में की जाती है. ये फसलें मुनाफा तो अच्छा देती हैं, लेकिन इनमें खेती की लागत भी ज्यादा आती है. इधर पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण इन फसलों में नुकसान भी काफी बढ़ गया है, इसलिए किसानों के बीच संरक्षित खेती का कांसेप्ट लाया गया, जिसके तहत प्लास्टिक शीट से बने ढांचे में फसलों का सुरक्षित उत्पादन मिलता है. इस आवरण में बागवानी फसलों की अच्छी उपज ली जा सकती है. देश के अलग-अलग इलाकों में किसानों को इस तकनीक से जोड़ा जा रहा है. राष्ट्रीय बागवानी मिशन स्कीम के तहत पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस में खेती करने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण और आर्थिक मदद दी जाती है.
वहीं राज्य सरकारें भी अपने-अपने लेवल पर संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए सहयोग देती है. पारंपरिक खेती में नुकसान देखने के बाद बागवानी फसलों की ओर रुक करने वाले किसानों में बिहार के कटिहार से आने वाले किसान अरुण भगत भी शामिल हैं, जो आज नई तकनीकों से ऑफसीजन सब्जियां उगाकर अच्छा मुनाफा ले रहे हैं.
पारंपरिक खेती से अधिक मुनाफा
किसान अरुण कुमार बताते हैं कि मकई-धान की पारंपरिक खेती से उन्हें कुछ खास मुनाफा नहीं हो रहा था, इसलिए उन्होंने शेडनेट लगाकर ऑफसीजन सब्जियां उगाने का मन बनाया. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए जिला उद्यान विभाग से भी संपर्क किया, जहां कृषि अधिकारियों से काफी सहयोग मिला. विभाग में सभी दस्तावेज जमा करवाने के बाद अरुण भगत को 1,03,600 रुपये का अनुदान भी मिल गया. इस तरह ऑफसीजन में टमाटर और शिमला मिर्च की खेती का सिलसिला चालू हो गया.
फार्म से खरीद ले जाते हैं सब्जियां
अरुण कुमार बताते हैं कि शुरुआत में पॉलीहाउस का दायरा और उपज दोनों ही कम थी, लेकिन धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई और पॉलीहाउस के तहत आने वाली खेती का भी विस्तार किया. अब कटिहार से लेकर कई दूसरे जिलों में इसके पॉलीहाउस की ऑफसीजन सब्जियों की बिक्री हो रही है. सब्जियां बेचने के लिए अरुण भगत खुद बाजार नहीं जाते, बल्कि मंडी व्यापारी उनके फार्म पर आकर खुद ही सब्जियां खरीदकर ले जाते हैं.
कटिहार के किसान श्री अरुण भगत नए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ऑफ सीजन में टमाटर और शिमला मिर्च की खेती करते हैं। समाधान यात्रा के दौरान माननीय मुख्यमंत्री @Nitishkumar ने उनके शेड हाऊस का निरीक्षण भी किया था।
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) February 6, 2023
Date: 05.02.2023#समाधान_यात्रा#समाधान_यात्रा_2023#SamadhanYatra pic.twitter.com/ajqKGtmwwL
कम समय में जबरदस्त उत्पादन
आज अरुण भगत जैसे कई किसान आज पॉलीहाउस में प्लास्टिक मल्च लगाकर कम समय और कम खर्च में सब्जियों का भरपूर उत्पादन ले रहे हैं. इस तकनीक से पानी की बचत तो होती ही है, मौसम की अनिश्चितता और कीट-रोगों के प्रकोप से भी फसल सुरक्षित रहती है यानी नुकसान की कोई संभावना ही नहीं है. यही वजह है कि संरक्षित खेती करके किसान कम समय, कम मेहनत और कम लागत में बढ़िया उत्पादन और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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