Blacklisted for Stubble Burning: बढ़ता प्रदूषण, बिगड़ती सेहत और लगातार जल रही पराली, ये ही हैं आज की सबसे गंभीर घटनायें. खेतों में धड़ाधड़ जल रही पराली अब एक गंभीर मुद्दा बन गई है. पर्यावरण में प्रदूषण (Pollution) बढ़ गया है, जिससे लोगों की सेहत भी बिगड़ती जा रही है. शुरुआत में किसानों को ​जागरूक भी किया गया, सब्सिडी दी गई, पराली जलाने (Stubble Burning) के नुकसान गिनाए गए, लेकिन इसके बावजूद पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं हुईं. मजबूरन, अब सरकार ने किसानों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है.


बिहार कृषि विभाग ने भी अब पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ विशेष अभियान चला दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृषि विभाग ने 20 जिलों के 6,066 किसानों पर सख्ती बरतते हुए अगले तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया है. इसका परिणाम ये होगा कि अब पराली जलाने का अपराध करने वाले किसान 3 सालों तक सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे. ना ही सब्सिडी और ना ही कोई मुआवजा, आर्थिक सहायता या अनुदान.


सरकारी योजनाओं का नहीं मिलेगा फायदा
पराली जलाने वाले सभी किसानों के लिए अब बिहार सरकार सख्ती से काम लेगी, जो भी किसान पराली जलाता हुआ मिला तो तुरंत 3 साल के लिए ब्लैक लिस्ट (Farmer blacklist) हो जाएंगे. ये भी जान लें कि अभी तक जो भी किसान कृषि विभाग की योजनाओं के लिए आवेदन किया है या पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, ये बात उन पर भी लागू हो रही है. कृषि विभाग ज्यादातर योजनाओं, सब्सिडी, मुआवजा और अनुदान सीधा बैंक खाते में ट्रांसफर करता है.


अब कृषि विभाग में रजिस्टर्ड किसान ऐसा करना पाया गया तो ये सभी कार्रवाइयां की जाएंगी. इस सख्त कदम के पीछे सरकार का सिर्फ यही मकसद है कि पराली जलाने की घटनाओं को कम किया जा सके. ये पर्यावरण के लिए तो हानिकारक है कि खुद किसानों की जमीन को भी पराली जलाने से कई नुकसान होते हैं. 


इस जिले में हुई सबसे सख्त कार्रवाई
पराली जलाने के बाद ब्लैक लिस्ट होने वाले बिहार राज्य के किसानों में सबसे ज्यादा हर्जाना रोहतास जिले के किसानों को भरना पड़ेगा. यहां पराली जलाने के मामले सबसे ज्यादा हैं. सरकार और जिला प्रशासन की सख्ती शुरू होते ही रोहतास जिले से करीब 2,273 किसानों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया. वहीं, दूसरे नंबर पर कैमूर जिला है, जहां से 1,195 किसानों का रजिस्ट्रेशन 3 साल के रद्द कर दिया गया है.


कृषि विभाग ने बक्सर से 989 किसान, भोजपुर से 592 किसान, नालंदा से 431 किसान, गया से 174 किसान, पटना से 153 किसान, नवादा से 71 किसान, औरंगाबाद से 68 किसान औप जमुई से 50 किसानों को ब्लैक लिस्ट किया गया है. पराली जलाने का हर्जाना भुगतने वाले किसान और 10 जिलों में भी है, जिसमें सिवान, गोपालगंज, बांका और मधुबनी भी शामिल है.


सरकार से पहले ही मिल गई चेतावनी
पिछले महीने, खरीफ फसलों की एक वर्कशॉप में बिहार के कृषि मंत्री ने पराली प्रबंधन (Stubble Management) को लेकर कई जानकारियां साझा की थी. साथ ही पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती बरतने के भी निर्देश दिए गये थे. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने भी सभी जिला मुख्यालयों से एलईडी वैन्स को रवाना किया था, जिसका उद्देश्य पराली प्रबंधन और पराली ना जलाने को लेकर ​जागरूकता फैलाना था.


इस मामले में राज्य के कृषि निदेशक आदित्य प्रकाश कहते हैं कि पराली जलाने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. पराली प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने कई ​जागरूकता अभियान चलाए हैं, साथ ही फसल अवशेषों को निपटाने के लिए सब्सिडी पर हैप्पी सीडर, स्ट्रॉ रीपर, स्ट्रॉ बेलर और रोटरी मल्चर जैसे कृषि यंत्र भी उपलब्ध करवाये जा रहे हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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