Subsidy Offer: सहजन की हर्बल खेती के लिए 37,000 रुपये का अनुदान, मार्केटिंग में मदद करेगी सरकार
Herbal Farming:बिहार सरकार ने राज्य में बेकार और बंजर पड़ी जमीन पर सहजन की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसके लिए 74,000 रुपये प्रति हेक्टेयर लागत पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है.
Agriculture Scheme: कोरोना महामारी के बाद से ही देश-विदेश में औषधियों की खपत बढ़ती जा रही है. भारत को जड़ी-बूटियों के बड़े उत्पादक और निर्यातक के तौर पर देखा जाता है. पिछले कुछ सालों में यहां औषधीय-सुगंधित खेती (Medicinal Farming) का चलन भी बढ़ा है. इन्हीं में शामिल है सहजन, जिसके पेड़ का हर हिस्सा बेहद फायदेमंद होता है. इसके फल, फूल, पत्तियों, बीजों में कई मेडिसिनल प्रॉपर्टीज होती है.
यही कारण है कि बाजार में सहजन और इसके प्रॉडक्ट्स की डिमांड बनी रहती है. कई किसानों के पास बंजर और कम उपजाऊ जमीन होती है, उनके लिए ये एक सुनहरा अवसर है. चाहें तो आज से ही सहजन की खेती शुरू करके सालाना 6 लाख रुपये कमा सकते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि सरकार सहजन की खेती (Drumstick Farming) के लिए अनुदान भी देती है.
सहजन की खेती पर सब्सिडी
बिहार सरकार ने राज्य में बेकार और बंजर पड़ी जमीन पर सहजन की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है. सहजन की खेती के लिए 74,000 रुपये प्रति हेक्टेयर लागत आती है, जिसके लिए सरकार 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी. सब्सिडी की ये रकम दो किस्तों में 37,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानों को दी जायेगी.
पहले साल में किसान को 27,750 रुपये को दूसरे साल में 9,250 रुपये का अनुदान मिलेगा. ये अनुदान की रकम तभी किसान को मिलेगी, जब अच्छी देखभाल-प्रबंधन के जरिये किसान 90 प्रतिशत पौधों को जीवित रखेंगे.
मार्केटिंग करेगी सरकार
सहजन की खेती के लिए सब्सिडी स्कीम का सबसे बड़ा फायदा ये है कि किसानों को खेती करने के बाद बाजार तलाशने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि उपज की मार्केटिंग में खुद उद्यान विभाग मदद करेगा. सहजन की खेती के लिए पौधे भी चंड़ी के नये 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल' (Center of Excellence for Vegetables, Chandi) की हाइटेक नर्सरी से उपलब्ध करवाये जायेंगे, जिससे कि 100 फीसदी पौधे जीवित रह सकें और किसानों को सब्सिडी का लाभ मिल सके.
बता दें कि सहजन के पौधों की रोपाई के 1 साल बाद ही फल लग जाते हैं और एक ही पौधे से करीब 25 से 30 किलोग्राम फलों का उत्पादन ले सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, सहजन की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर करीब 1600 पौधों की रोपाई की जाती है.
क्या है सरकार का प्लान
पिछले दिनों ही राज्य के करीब 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया था. इन जिलों में पानी की कमी के कारण खेती करना और भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार की सब्सिडी योजना का लाभ लेकर कम संसाधनों में सहजन की खेती करके आमदनी ले सकते हैं.
रिपोर्ट्स की मानें तो इस योजना के तहत सहजन की खेती करने के लिए किसानों के क्लस्टर बनाये जायेंगे और पायटल प्रोजेक्ट के तौर पर सहजन की खेती होगी. इसके लिए सरकार ने 12 जिलों का चयन किया है, जिसमें नालंदा के बेन और रहुई प्रखंड भी शामिल है. यहां के करीब 23 किसानों ने सहजन की खेती में दिलचस्पी दिखाई है, जिसके बाद अब किसानो को पौधे भी मुहैया करवाये जायेंगे.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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