Subsidy of Drip Irrigation: किसानों की मेहनत और संसाधनों की बचत के लिये खेती-किसानी में अब नई कृषि तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है. इन्हीं में से एक तकनीक है प्लास्टिक मल्चिंग खेती (Plastic Mulching Farming), जिसकी मदद से बागवानी फसलों से काफी बेहतर उत्पादन मिल रहा है. इतना ही नहीं, पानी की कमी वाले राज्यों में यह तकनीक किसानों के लिये वरदान साबित हो रही है.


बता दें कि प्लास्टिक मल्चिंग से खेती को सुविधाजनक बनाने के लिये ड्रिप सिंचाई की जाती है, जिससे पानी सीधा फसल की जड़ों तक पहुंचता है और प्लास्टिक मल्चिंग के चलते पानी का वाष्पीकरण भी नहीं होता और मिट्टी की नमी बनी रहती है. प्लास्टिक मल्चिंग के साथ ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation with Plastic Mulching) के इन्हीं फायदों की तर्ज पर अब बिहार राज्य के किसानों को 50 प्रतिशत तक अनुदान (Susbidy on Drip Irrigation)  दिया जा रहा है. अभी तक कई किसान इस योजना (Mulching Scheme) का फायदा लेकर खेती से मुनाफा कमा रहे हैं.


मल्चिंग योजना
बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय (Bihar Agriculture Department, Horticulture Crops) की ओर से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की तर्ज पर किसानों को ड्रिप सिंचाई अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. 



  • खासकर प्लास्टिक मल्चिंग लगाकर खेती करने वाले किसानों को मल्चिंग योजना के तहत ड्रिप सिंचाई अपनाने के लिये 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है. 

  • अभी तक बिहार के कई किसानों को इस योजना का लाभ मिल चुका है और किसानों को लगातार इस योजना से जुड़कर ड्रिप सिंचाई (Subsidy on Drip Irrigation) अपनाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है.






यहां करें आवेदन
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PM Krishi Sinchai Yojana) के तहत ड्रिप सिंचाई पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिये बिहार कृषि विभाग (Bihar Agriculture Department) की ऑफिशियल वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर विजिट कर अधिक जानकारी ले सकते हैं. इस योजना से जुड़ने के लिये नजदीकी जिले के सहायक निदेशक, उद्यान से भी संपर्क करके आवेदन की प्रक्रिया जानकर आवेदन फॉर्म समेत सभी आवश्यक दस्तावेजों को जमा करवा सकते हैं.


प्लास्टिक मल्चिंग की लागत
जाहिर है कि प्लास्टिक मल्चिंग की बिछावन को बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crops Cultivation) के लिये इस्तेमाल किया जाता है. इससे खरपतवारों की संभावना भी कम रहती है और मिट्टी में नमी भी कायम रहती है. वैसे तो प्लास्टिक मल्चिंग फसलों का बेहतर उत्पादन लेने में मददगार है, लेकिन इसके इस्तेमाल में कुछ सावधानियां बरतनी चाहिये.



  • खेतों में सीधा प्लास्टिक मल्चिंग बिछाने के बजाय बैड बनाकर ही प्लास्टिक की फिल्म बिछाई जाती है. इसके लिये सुबह या शाम का समय ही सही रहता है.

  • हमेशा अच्छी क्वालिटी की प्लास्टिक मल्चिंग का ही इस्तेमाल करना चाहिये, जिससे प्लास्टिक के नैनो कण मिट्टी में ना मिल पायें और मिट्टी प्रदूषण को रोका सके.

  • हमेशा प्लास्टिक मल्चिंग के छेदों के हिसाब से ही ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation in Mulching) की पाइप में छेद बनाना चाहिये, जिससे पानी की बर्बादी ना हो और बूंद-बूद पानी सीधा फसल की जड़ों तक पहुंच सके. 

  • प्लास्टिक मल्चिंग (Plasticc Mulching Farming) को फटने या उड़ने से बचाने के लिये चारों तरफ से मिट्टी की कवरेज देनी चाहिये. इस तकनीक (Mulching Technique) का प्रयोग करने पर बागवानी फसलों में कीट-रोगों का खतरा भी कम ही रहता है.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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