PM Krishi Sinchai Yojana: कई राज्यों में रबी फसलों (Rabi Crops) की बुवाई शुरू हो चुकी है. किसान भी अब खाद-बीच से लेकर सिंचाई (Irrigation for Rabi Season) के इंतजाम में जुटे हुए हैं. वैसे रबी फसलों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती, इसलिए सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस तकनीक के जरिये फसलों के जरूरत के मुताबिक ही पानी मिलता है और कम सिंचाई में ही अच्छी पैदावार मिल जाती है.


इन तकनीकों में ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन (Sprinkler Irrigation) शामिल है. ये तकनीकें पानी की बचत के साथ-साथ किसानों को अच्छा मुनाफा भी दिला रही है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PM Krishi Sinchai Yojana) के तहत इन सूक्ष्म सिंचाई की तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को अनुदान भी दिया जाता है. इसी कड़ी में बिहार सरकार की ओर से किसानों को स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाने के लिये 90 प्रतिशत तक अनुदान (Subsidy On Irrigation) दिया जा रहा है. 


स्प्रिंकलर सिंचाई पर सब्सिडी


बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय (Bihar Horticulture Department) की ओर से स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक अपनाने के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है.




    • इस योजना का लाभ लेने के लिये अपने नजदीकी जिले में स्थित उद्यान विभाग के कार्यालय में सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं.

    • स्प्रिंकलर पर सब्सिडी का सीधे लाभ लेने के लिये https://www.pmksy.gov.in/ पर जाकर भी आवेदन कर सकते हैं.







स्प्रिंकलर सिंचाई की फसलें


स्प्रिंकलर सिंचाई को फव्वारा सिंचाई भी कहते हैं. ये तीन तरह के होते हैं- मिनी स्प्रिंकलर, माइक्रो स्प्रिंकलर, पोर्टेबल स्प्रिंकलर. 



  • मिनी स्प्रिंकलर का इस्तेमाल चाय, आलू, प्याज, धान, गेहूं और सब्जी फसलों में सिंचाई के लिए किया जाता है.

  • माइक्रो स्प्रिंकलर को लीची जैसी बागवानी फसलें, पॉलीहाउस और शेडनेट हाउस नेट में खेती के लिए बेहतर मानते हैं.

  • वहीं पोर्टेबल स्प्रिंकलर को दलहन-तिहलन, धान और गेहूं की खेती में सिंचाई के लिए कारगर मानते हैं.


स्प्रिंकलर सिंचाई के फायदे


भारत में कृषि कार्यों के लिए पानी की सबसे ज्यादा खपत होती है. सीधा खेतों में पानी छोड़ने पर फसलों को तो नुकसान होता ही है, 60 फीसदी तक पानी की भी बर्बादी होती है. ऐसे में स्प्रिंकलर सिंचाई करने से फसल के साथ-साथ मिट्टी को भी नमी मिल जाती है. इस तकनीक से पानी की बौछारें फसल के ऊपर पड़ती है. इस तकनीक के जरिये सिंचाई (Sprinkler Irrigation) के साथ-साथ पानी में उर्वरक मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं. इस समय किसानों को मेहनत तो बचती ही है, पानी की भी अच्छी खासी बचत हो जाती है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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