Subsidy on Guava Farming: देश में फलों की खेती का चलन बढ़ता जा रहा है. पारंपरिक फसलों की खेती करने वाले किसान भी अब कम खर्च में बेहतर मुनाफा कमाने के लिये फल, फूल, सब्जियां उगा रहे हैं. इसी कड़ी में बिहार सरकार भी अब किसानों को मखाना से लेकर प्याज, चाय, मगही पान के साथ-साथ तमाम फल-सब्जियों की खेती के लिये प्रोत्साहित कर रही है और किसानों को आर्थिक अनुदान भी दे रही है. हाल ही में बिहार सरकार ने अमरूद का उत्पादन बढ़ाने के लिये नई सब्सिडी योजना चलाई है, जिसके तहत अमरूद की खेती (Guava Farming) करने वाले किसान या इसकी खेती के लिये इच्छुक नये किसानों को 60,000 रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है.


अमरूद की खेती के लिये सब्सिडी
बिहार सरकार अमरुद की खेती करने वाले किसानों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना के तहत 60,000 रुपये तक का अनुदान दे रही है. बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय ने अधिकतम इकाई लागत 1 लाख रुपये निर्धारित की गई है, जिस पर 60 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है. 






यहां करें आवेदन



  • एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना के तहत अमरूद की खेती पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिये बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय के पोर्टल horticulture.bihar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं.

  • इस योजना से जुड़ी अधिक जानकारी, आवेदन की प्रक्रिया और अमरूद की खेती के बारे में जानने के लिये नजदीकी जिले में उद्यान विभाग के सहायक निदेशक से संपर्क कर सकते हैं.


अमरूद की खेती में खर्च और आमदनी
देश-विदेश में अमरूद की डिमांड बनी रहती है. ये फल स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिहाज के भी काफी फायेदमंद है. एक बार इसके पौधों की रोपाई करने के 2 साल बाद फलों का उत्पादन मिलना शुरू हो जाता है. तब तक फलों की ठीक तरह से देखभाल, सिंचाई, पोषण और निगरानी करनी होती है. एक हेक्टेयर में अमरूद की खेती करने पर 10 लाख तक की लागत आती है, जिससे हर सीजन में 20 फल प्रति पौधे के हिसाब से उत्पादन मिलता है.


जब पौधा परिपक्व हो जाता है तो दो सीजन में फलों की तुड़ाई करके 25 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक कमाई हो जाती है, जिसके बाद खेती की लागत निकालकर 15 लाख तक मुनाफा कमा सकते हैं. अमरूद की खेती में लागत और कमाई पूरी तरह से खेती के क्षेत्र, प्रबंधन का तरीका, किस्म और बाजार मूल्य पर निर्भर करती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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