Grant Aid for Drought in Bihar: अभी पूरा देश मौसम की मार से उबर नहीं पाया है. जहां उत्तर प्रदेश के कई गांव अब भी बाढ़ जैसे हालातों का सामना कर रहे हैं तो वहीं बिहार में स्थिति बिल्कुल उलट है. यहां कई ग्रामीण इलाके ऐसे हैं, जहां बारिश की कमी के कारण खरीफ फसलों की खेती नहीं हो पाई. कभी बड़े धान उत्पादक सूची में शामिल बिहार राज्य में इस साल धान की रोपाई का आंकड़ा भी काफी कम रहा है.
पहले बारिश की कमी और अब यहां के ग्रामीण लोग सुखाड़ का सामना कर रहे हैं. इन सूखाग्रस्त गांव में रहने वाले परिवारों की मदद के लिए अब राज्य सरकार आगे आई है. बिहार राज्य सरकार की कैबिनेट ने 7841 गांव को सूखाग्रस्त (Drought in Bihar) घोषित कर दिया है और इन गांवों के हर परिवार को 3,500 रुपये सहायतानुदान देने का भी फैसला किया है.
11 जिलों में पड़ा सूखा
बिहार राज्य सरकार के मुताबिक, राज्य के 11 जिले ऐसे हैं, जहां 30 प्रतिशत से कम बारिश हुई है और फसल की रोपाई का आंकड़ा भी 70 प्रतिशत से कम है. इन जिलों के 96 प्रखंडों के 7841 गांवों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. सूखाग्रस्त गांव को कवर करने वाले जिलों में जहानाबाद, गया औरंगाबाद, शेखपुरा, नवादा, मुंगेर, लखीसराय, भागलपुर, बांका, जमुई और नालंदा शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन जिलों में सबसे ज्यादा प्रभावित जिले जमुई और बांका हैं. यहां धान की बुवाई का आंकड़ा क्रमश: 20 फीसदी और 37 फीसदी ही रहा है. इन जिलों में ग्रामीण परिवारों की आर्थिक सहायता के लिये बिहार अकास्मिक निधी से 500 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.
बाढ़ में भी फसल नुकसान पर मुआवजा
बिहार राज्य के वैसे तो ज्यादातर इलाके बारिश की एक बूंद तक के लिए तरस गए, लेकिन कुछ इलाकों में तेज बारिश के कारण खेतों में भी पानी भर गया है. ऐसी फसलों के लिए भी सरकार ने क्षतिपूर्ति का ऐलान किया है. बाढ़ से जलमग्न हुई फसलों के लिए कृषि इनपुट सब्सिडी के जरिये किसानों को भरपाई की जाएगी. इतना ही नहीं, मॉनसून 2022 के खराब मिजाज के कारण हुए नुकसान का अनुमान लगाने के लिए राज्य में सर्वे भी किया जाएगा.
बिहार में खराब बारिश का मिजाज
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस साल बिहार में बारिश की शुरुआत तो अच्छी हुई, लेकिन जुलाई आने तक मौसम का मिजाज काफी बिगड़ गया. यहां समय से दो दिन पहले यानी 13 जून को मॉनसून से दस्तक दी, लेकिन मॉनसून के 122 दिनों में 32 फीसदी बारिश कम हुई. यही कारण है कि बिहार के हजारों गांव आज सुखाड़ की चपेट में हैं. इतना ही नहीं, राज्य में 45,000 से ज्यादा गांव की सूची में से सिर्फ 17 प्रतिशत गांव को ही सूखाग्रस्त घोषित किया है.
धान की रोपाई में गिरावट
देश के ज्यादातर इलाकों में पहले तो मॉनसून (Monsoon 2022) खूब जोश के साथ बरसा. इसके बाद अगस्त आते-आते किसानों के लिए मुसीबत खड़ी होने लगी. बिहार-झारखंड के कई किसानों ने धान की रोपाई के लिए बिचड़ा भी तैयार कर लिया था, लेकिन बारिश की कमी के कारण धान की रोपाई (Paddy Plantation) ही नहीं हो पाई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार में इस साल कम बारिश के कारण धान की रोपाई का रकबा करीब 1.97 लाख हेक्टेयर तक घट चुका है.
यही कारण है कि धान के उत्पादन (Paddy Production) में कमी आई है और किसानों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा रहा है. बिहार ही नहीं, मौसम के ये तेवर दूसरे राज्यों में भी भारी पड़ रहे हैं. पड़ोसी राज्य झारखंड में भी कम बारिश के कारण सूखा जैसे हालात (Drought in Bihar) पैदा होते दिखाई पड़ रहे हैं. राज्य में बारिश की कमी के कारण 9.32 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का रकबा घट गया है, जो चिंता का विषय है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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