भारत में अब किसान पारंपरिक खेती के अलावा अलग-अलग तरह की खेती कर रहे हैं. जिनसे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. किसान अलग-अलग फलों की भी खूब खेती कर रहे हैं. ऐसा ही एक फल है जो किसानों को तगड़ा फायदा दे रहा है. इस फल का नाम है ड्रैगन फ्रूट भारत में अब काफी किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. यह फल विदेशों में भी काफी मशहूर है. गुजरात में इसे कमलम भी कहा जाता है क्योंकि यह दिखने में कमल की तरह होता है. ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर अब बिहार सरकार काफी ज्यादा गंभीर हो गई है. बिहार के 21 जिलों की मिट्टी को ड्रैगन फ्रूट के अनुकूल पाया गया है. सरकार अब इसके क्षेत्र विस्तार के बारे में सोच रही है.


इतना मिलेगा अनुदान


बिहार सरकार किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए 40 फीसद अनुदान देगी और इसके लिए अनुदान राशि भी जारी कर देगी. किसानों को फिलहाल ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए बनने वाली एक यूनिट पर 7.5 लाख रुपये का खर्च आता है. अब सरकार इस योजना के तहत 60 फीसदी राशि की पहली किश्त यानी 1.80 लाख रुपये किसानों के खाते में डालने की तैयारी कर रही है. आप को बता दें कि यह राशि प्रति किसान प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दी जाएगी. अनुदान राशि की दूसरी किश्त अगले साल कुल अनुदान के 20 प्रतिशत के रूप में मिलेगी जबकि पौधा 75 फीसदी जीवित होगा. तो वहीं तीसरी और अंतिम किश्त 20 फीसदी के रूप में पौधे के 90 फीसदी जीवित रहने पर मिलेगी.


मालामाल कर देगा ड्रैगन फ्रूट


भारत में अब किसान पारंपरिक खेती के अलावा अलग-अलग तरह की खेती कर रहे हैं. जिनसे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. किसान अलग-अलग फलों की भी खूब खेती कर रहे हैं. ऐसा ही एक फल है जो किसानों को तगड़ा फायदा दे रहा है. ड्रैगन फ्रूट भी इन्हीं में से एक है. ड्रैगन फ्रूट खाने में बेहद लजीज और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है. बाजार में ड्रैगन फ्रूट की कीमत 100 रुपये से 400 रुपये प्रति किलो तक होती है. जबकि इसे उगाने में आने वाला खर्च इसकी रकम से कई कम है. ड्रैगन फ्रूट का एक पौधा 15 से 20 साल तक फल देता है, बशर्ते की मौसम और रखरखाव का ख्याल रखा जाए.


इन जिलों को मिलेगी अनुदान राशि


ड्रैगन फ्रूट की पैदावार बढ़ाने के लिए जो अनुदान राशि दी जाएगी उसमें जो जिले चयनित किए गए हैं उनमें मुजफ्फरपुर, पटना, भोजपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद, सुपौल, सीवान, सारण, भागलपुर, जहानाबाद, गोपालगंज, गया, कटिहार, किशनगंज, मुंगेर, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर और वैशाली को शामिल किया गया है.


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