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Stubble Management:अब पराली जलाई तो खैर नहीं.....ये सरकार बंद कर देगी योजनाओं का लाभ, देखें पूरा एक्शन प्लान

Stubble Burning: धान की कटाई के बाद देश में पराली जलाने से प्रदूषण काफी बढ़ जाता है. सरकार की सख्ती के बावजूद पराली जलाने की घटनायें कम नहीं हो रही हैं, ऐसे में सरकार ने नया एक्शन प्लान तैयार किया है.

Strict Action on Stubble Burning: देश के कई इलाकों में धान कटाई जोरों पर है. सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. पराली गलाने के लिए फ्री डीकंपोजर से लेकर पराली के बंडल बनाने के लिए मशीनें तक उपलब्ध करवाई जा रही है, लेकिन बावजूद इसके पराली जलाने की घटनायें बढ़ती जा रही है. इस पराली का धुंआ दिल्ली, नोएड़ा, गुरुग्राम जैसे शहरों में हवा के प्रदूषित करके शहरी आबादी की चिंतायें बढ़ा रहा है.

पराली प्रबंधन के प्रति किसानों को जागरूक करने वाले तमाम अभियान नाकाम होते दिखाई दे रहे हैं. यही कारण है कि अब सरकार ने ऐसी योजना बनाई है कि पराली भी नहीं जलेगी (Stubble Burning) और किसान उसका प्रबंधन भी करेंगे. इस मामले को जड़ से खत्म करने के लिये बिहार सरकार ने एक्शन प्लान तैयार कर लिया है.

पराली जलाने पर सख्त सरकार
बिहार में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं से सबक लेकर यहां के जिला प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं. यहां पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना तो लगेगा ही, साथ ही सरकारी योजनाओं से भी वंचित रहना पड़ सकता है.

इस मामले में गोपालगंज जिला प्रशासन ने साफ-साफ कह दिया है कि धान की कटाई के बाद पराली जलाने वाले किसान को कृषि विभाग से संचालित सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जायेगा. पराली जलाना एक कानूनी अपराध है, जो भी किसान ऐसे मामलों में संलिप्त पाया जाएगा, उस किसान को ब्लैक लिस्ट करके जुर्माना वसूला जाएगा. 

उत्पादन हो जाएगा कम
अकसर किसान सस्ते में पराली निपटाने के लिए उसे खेतों में ही जला देते हैं, लेकिन पराली जलाने का सबसे बड़ा नफा-नुकसान किसानों को ही भुगतना पड़ता है. धान की कटाई के बाद खेत में पड़े फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के जीवांश नष्ट हो जाते हैं, जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है.

ये जीवांश ही फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में मददगार होते है, लेकिन पराली जलाने से ये भी जलकर राख हो जाते हैं. इससे मिट्टी की सेहत के साथ-साथ फसल का उत्पादन भी घट जाता है. 

अपनायें ये तरीका
केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किसानों को पराली का सही प्रबंधन करने के प्रति जागरुक कर रही है. खेतों में पड़े फसल अवशेषों का प्रबंधन (Stubble Management) करने के लिए किसान डीकंपोजर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे पराली गलकर खाद बन जाती है.

इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती ही है, साथ ही खाद-उर्वरकों पर खर्च होने वाला पैसा भी बचता है. इसके अलावा कृषि यंत्रों की भी मदद से भी पराली के बंडल बना सकते हैं, जिन्हें कई निजी कंपनियां काफी अच्छे दामों पर खरीदती हैं. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें- सहजन की हर्बल खेती के लिए 37,000 रुपये का अनुदान, मार्केटिंग में मदद करेगी सरकार

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