Subsidy on Drip Irrigation: किसानों को उन कृषि तकनीकों से जोड़ा जा रहा है, जो पैसा, पानी और श्रम को बचाकर सही फसल उत्पाद दे सकें. ड्रिप इरिगेशन तकनीक की पहचान भी ऐसी ही कृषि तकनीक के तौर पर की गई है, जो ना सिर्फ पानी और उपज को बर्बाद होने से बचाती है, बल्कि फसल की जड़ों तक बूंद-बूंद जल पहुंचाकर उत्पादकता को की बढ़ा देती है. पानी की किल्लत वाले इलाकों में तो टपक सिंचाई को वरदान के तौर पर देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब के किसानों के बीच ड्रिप इरिगेशन लोकप्रिय हो रहा है.


कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गन्ना की फसल को गलन से बचाने और सही उत्पादन हासिल करने में भी ड्रिप इरिगेशन का अहम रोल है, इसलिए राज्य सरकारें किसानों को अनुदानिक दरों पर इसे उपलब्ध करवा रही हैं.


इसी कड़ी में बिहार सरकार ने भी  सात निश्चय-2 और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप सिंचाई पद्धति का लाभ लेने के लिए सभी श्रेणी के किसानों के आवेदन मांगे गए हैं,


कैसे करें आवेदन
यदि आप भी बिहार के किसान हैं और गन्ना की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई सिस्टम इंस्टॉल करवाना चाहते हैं तो  बिहार उद्यान निदेशालय के ऑफिशियल वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in के PMKSY लिंक पर क्लिक करके डायरेक्ट आवेदन कर सकते हैं.



  • यहां किसानों को ड्रिप सिस्टम लगवाने के लिए अपनी पसंद की कंपनी को चुनने की आजादी की जाएगी.

  • आवेदन करने के बाद किसान के मोबाइल नंबर पर Refrenece no. भी दिया जाएगा, जिसे संभालकर रखना होगा.

  • किसान के मोबाइल पर एक OTP भी दिया जाएगा, जिसे ड्रिप सिस्टम के इंस्टॉलेशन के बाद ही संबंधित व्यक्ति या कंपनी को दें.

  • बता दें कि ड्रिप सिंचाई सिस्टम की लागत पर ही अनुदान की राशि मान्य होगी, GST पर कोई अनुदान नहीं दिया जाएगा.






कहां करें संपर्क 
अपने खेत में भी ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई सिस्टम इंस्टॉल करवाने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में सहायक निदेशक से डायरेक्ट संपर्क कर सकते हैं.



  • ऑनलाइन आवेदन की प्रोसेस या तकनीकी जानकारी के लिए सहायक निदेशक (उद्यान), प्रखंड उद्यान पदाधिकारी या निबंधित कंपनी से भी संपर्क किया जा सकता है.

  • किसान हेल्पलाइन नंबर- 1800-180-1551 पर भी कॉल कर सकते हैं.


गन्ना की फसल में ड्रिप सिंचाई के लाभ
गन्ना की फसल में ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई पद्धति अपनाकर करीब 60 प्रतिशत पानी की बचत कर सकते हैं.



  • इससे उर्वरकों की खपत को भी 25 से 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है.

  • ड्रिप सिंचाई से खेती की लागत भी 30 से 35 फीसदी तक कम हो जाती है.

  • कई किसानों ने ड्रिप सिंचाई के जरिए फसलों की 25 से 35 फीसदी अधिक उत्पादकता हासिल की है.

  • इस तरह सिंचाई करने पर सीधा फसल की जड़ों को पानी मिलता है और पानी का अनावश्यक बहाव नहीं होता.

  • इससे अच्छी क्वालिटी की उपज हासिल करने में भी मदद मिलती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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