भारत के घर-घर में काली मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है. देश में बढ़ी संख्या में इसकी खेती और व्यापर किया जाता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार किसानों को पारंपरिक फसलों की खेती करते हैं. किसानों को अन्य खेती पर भी ध्यान देना चाहिए. ऐसी ही एक खेती काली मिर्च की है. इसमें किसान भाई बड़ी आसानी से अच्छी कमाई कर सकते हैं.


काली मिर्च की खेती करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह फसल अधिक ठंडे मौसम में नहीं होती. इसके अलावा इसकी खेती ज्यादा गर्मी के मौसम में भी नहीं हो सकती है. जिस मौसम में नमी होती है काली मिर्च की बेल उतनी ही जल्दी फैलती है. इस फसल को भारी मिट्टी के साथ जलभराव वाली मिट्टी में लगाया जाता है. काली मिर्च एक प्रकार की बेल होती है. जिसे पेड़ों पर बढ़ाया जा सकता है. पेड़ के 30 सेंटीमीटर की दूरी पर एक गडढा खोद दें और  फिर उसमें दो से तीन बोरी खाद मिला लें. बाद में उसमें उर्वरक और साफ मिट्टी डाल दें. फिर बीएचसी पाउडर लगाकर मिर्च की रोपाई करना शुरू कर दें.


केरल सबसे बड़ा उत्पादक


इसको खास देखभाल की जरूरत होती है समय-समय पर फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करते रहें. 3 वर्ष के बाद हर बेल को 20 किलो खाद या फिर कम्पोस्ट, 300 ग्राम यूरिया, 250 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 1 किलो सुपर फास्फेट लगाना चाहिए. वैसे तो इस पर कीट हमला नहीं करते हैं मगर कई इनकी वजह से फसल खराब हो सकती है. जिन पर काबू पाने के लिए बेलों व फलों पर मैलाथियान या फिर कार्बेरिल का छिड़काव करना चाहिए. बेल के नीचे खुदाई करने से भी कीटों का खतरा कम हो जाता है. काली मिर्च उत्पादन के मामले में केरल देश में काफी आगे है. रिपोर्ट्स के अनुसार केरल में 98 फीसदी काली मिर्च का उत्पादन होता है. तमिलनाडु व कर्नाटक में भी काली मिर्च का उत्पादन होता है.


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