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Black Pepper: काली मिर्च की खेती है अच्छी कमाई का ऑप्शन, जानिए कैसे आपको मालामाल कर सकती है ये खेती

मिर्च की खेती पारंपरिक खेती से अलग मुनाफे का सौदा है. हालांकि इस खेती के लिए उचित जलवायु बहुत जरूरी है. यह फसल न अधिक ठंडा और न गर्म बर्दाश्त कर पाती है.

Black Pepper Production In India: भारत एक कृषि प्रधान देश है. देश की अधिकांश आबादी खेती किसानी से जुड़ी है. किसान भी खेती कर लाखों रुपये की कमाई करते हैं. हालांकि कई बार बाढ़, बारिश, सूखे जैसी आपदा किसानों के कमाने के अरमानों पर फेर देती है. विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक खेती तो किसान करते ही हैं. इसके अलावा अन्य खेती पर भी किसानो को हाथ आजमाना चाहिए. काली मिर्च ही ऐसी ही खेती है. यदि इसे थोड़ी सूझबूझ से किया जाए तो किसान आसानी से मोटी कमाई कर सकते हैं. 

इस तरह की मिट्टी की होती है जरूरत
काली मिर्च की बुवाई करते समय ध्यान रखना चाहिए कि यह फसल न तो अधिक ठंडे मौसम में पैदा होती है. न ही अधिक गर्मी सहन कर पाती है. मौसम में जितनी नमी होती है. काली मिर्च की बेल उतनी ही तेजी से ग्रोथ करती है. भारी मिट्टी के साथ जलभराव वाली मिट्टी इस फसल की खेती करती है. यह ध्यान रखना चाहिए कि जिन खेतों में नारियल और सुपारी जैसे फलों के पेड़ उगाए जाते हैं. ऐसी जगह पर काली मिर्च की अच्छी खेती होती है. इस फसल को छांव की भी जरूरत होती है. 

इस तरह करें बुवाई
काली मिर्च एक बेल होती है. इसे पेड़ों पर बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए पेड़ के 30 सेंटीमीटर की दूरी पर एक गडढा खोद दें. उसमें दो से तीन बोरी खाद मिला दें. उर्वरक और साफ मिट्टी डाल दें. इसके बाद बीएचसी पाउडर लगाकर मिर्च की रोपाई कर दें. 

इस तरह प्रयोग करें फर्टिलाइजर
फर्टिलाइजर का समय समय पर प्रयोग करते रहें. 3 साल के बाद प्रत्येक बेल को  20 किलो खाद या कम्पोस्ट, 300 ग्राम यूरिया, 250 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 1 किलो सुपर फास्फेट लगा देना चाहिए. यह दो बार लगाया जाना है. पहली बार सितंबर के पहले सप्ताह और दूसरी जनवरी के पहले सप्ताह में लगानी है. 

इस तरह करें देखभाल
काली मिर्च बेल होने के कारण पेड़ों से इसके गिरने का भय रहता है. इन्हें समय समय पर सहारा देकर पेड़ पर चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. पेड़ पर चढ़ाने के लिए रस्सी का सहारा ले सकते हैं. बेल को 4 से 5 मीटर से अधिक न बढ़नें दें. उसे समय समय पर छांटते रहें. अगस्त-सितंबर और नवंबर-दिसंबर के बीच साल में दो बार बेलों के आसपास की जमीन खोद देनी चाहिए. 

रोगों से जरूर बचाएं
काली मिर्च पर वैसे तो कीटों का उतना अटैक नहीं होता है. लेकिन कई बार कीट या रोग लगने पर फसल बर्बाद हो जाती है. ध्यान रखें, जब दानें हरें तो कीट मिर्च को खोखला कर सकते हैं. कीट पर काबू पाने के लिए जुलाई और अक्टूबर में बेलों और फलों पर मैलाथियान या कार्बेरिल का छिड़काव कर देना चाहिए. बेल के नीचे खुदाई करने से भी कीटों का खतरा कम रहता है. 

यहां होती हैं सबसे ज्यादा काली मिर्च
केरल काली मिर्च उत्पादन के मामले में देश का बड़ा स्टेट है. यहां देश की 98 प्रतिशत काली मिर्च होती है. इसके बाद तमिलनाडु और कर्नाटक में काली मिर्च होती है. दुर्लभ काली मिर्च की खेती महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में पाई जाती है.

 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें:- महाराष्ट्र के किसानों की तरह सही मुआवजा नहीं ले पाए राजस्थान के किसान, बीमा कंपनियों को केंद्र से मिले ये निर्देश

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