Brinjal Farming Technique: भारत के किसान अब पारंपरिक फसलें छोड़कर बागवानी फसलों की तरफ अग्रसर हो रहे हैं. खासकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Horticulture) के किसान फल और सब्जियों की खेती को खास तवज्जो देकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसी ही एक उदाहरण सामने आया है उत्तर प्रदेश के हरदोई (Brinjal Farming in Hardoi)जिले से, जहां किसानों ने बैंगन की उन्नत किस्मों से खेती (Brinjal Cultivataion) करके काफी अच्छी आमदनी ली है.
इन किसानों ने बाताया कि अप्रैल में बोई गई बैंगन की फसल से बारिश के दिनों में अच्छी क्वालिटी के फलों की ज्यादा पैदावार मिलती है. ऊपर से जुलाई-अगस्त तक बाजार में भी बैंगन की डिमांड काफी बढ़ जाती हैऔर किसानों की उपज भी हाथोंहाथ मंडियों में बिक जाती है.
इस तरह करते हैं खेती
बैंगन की खेती साल में दो बार की जाती है. पहली फसल जनवरी से फरवरी के बीच लगाई जाती है, जो गर्मियों तक तैयार हो जाती है और दूसरी फसल अप्रैल में बोई जाती है, जो मानसून तक पक जाती है.
- ऐसी स्थिति में किसान अप्रैल के महीने में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बैंगन की उन्नत हाइब्रिड किस्मों के 300 ग्राम बीजों का इस्तेमाल करते हैं.
- इन बीजों की बुवाई से पहले खेतों की गहरी जुताई और गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट खाद डालकर मिट्टी को तैयार किया जाता है.
- आखिरी जुताई के समय खेतों से खरपतवारों को निकाल देते हैं और पाटा लगाकर मेडबंदी की जाती है.
- इस प्रकार बैंगन के बीजों को समतल जमीन पर ना लगाकर मेड़ों पर बोया जाता है, जिससे पौधों के बीच खरपतवारों की समस्या ही नहीं रहती.
बैंगन की फसल का प्रबंधन
किसानों ने बाताया कि बैंगन की अच्छी पैदावार के लिये खेतों में अच्छी सिंचाई के साथ-साथ डीएपी और लिक्विड खाद का छिड़काव भी किया गया.
- डीएपी और तरल उर्वरक को ड्रिप सिंचाई तकनीक के जरिये पानी के साथ-साथ पौधों तक पहुंचाया गया, जिससे पानी और पोषण का काम साथ में ही हो गया.
- बैंगन की फसल में कीट और रोगों की लगातर निगरानी की गई और रासायनिक दवाओं की जगह गोमूत्र और नीम के घोल का छिड़काव हुआ.
- इस तरह कीटनाशक दवाओं का खर्च, मेहनत और संसाधनों की बचत करके बैंगन की ज्यादा मात्रा में पैदावार मिल सकती है.
- बता दें कि खेतों में एक बार रोपाई करने पर बैंगन की फसल से अगले 10 महीने तक मोटा उत्पादन मिलता रहता है.
बैंगन का उत्पादन और आमदनी
एक हेक्टेयर खेत में बैंगन की खेती (Brinjal Farming) करके एक बार में 400 क्विटल तक फलों का उत्पादन मिलता है, जिससे 2 लाख रुपये की आमदनी होती है. इस प्रकार 10 महीने की फसल से करीब 10 से 12 लाख तक आमदनी हो जाती है.
- इतना ही नहीं, बैंगन की वैज्ञानिक खेती (Scientific Farming of Brinjal) करने और अच्छा मौसम रहने पर यही मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है और किसानों को अधिक पैदावार भी मिल सकती है.
- रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तर प्रदेश के हरदोई में उगाये गये बैंगन (Brinjal Farming in Hardoi, Uttar Pradesh) आज दिल्ली की आजादपुर मंडी से लेकर मध्य प्रदेश, लखनऊ, कानपुर और फर्रुखाबाद में भी खूब धमाल मचा रहे हैं.
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