Agri Budget 2023: हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2023 (Union Budget 2023) के लिए किसानों के साथ बैठक बुलाई. यहां कई किसान संगछनों को आमंत्रित किया गया और नए कृषि बजट में किसानों के लिए क्या कुछ खास होना चाहिए, इसके लिए किसानों की मांगे जानी और सुझाव भी लिये. इस बीच किसान उत्पादक संगठनों ने गेहूं, चावल समेत तमाम कृषि उत्पादों के निर्यात से प्रतिबंध हटाने की मांग रखी. ये मांग उन कृषि उत्पादों के लिए थी, जिनका न्यूनतम समर्थन मूल्य कम रहता है.
किसान संगठनों ने सरकार से यह अपील की, पाम तेल का उत्पादन बढ़ाने के बजाए केंद्र सरकार को सोयाबीन, सरसों, मूंगफली और सूरजमुखी जैसे तिलहनी फसलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए. इस वर्चुअल मीटिंग में किसान संगठनों ने प्रसंस्कृत उत्पाद यानी प्रोसेस्ड फूड पर जीएसटी लागू करने का भी सुझाव रखा, जिससे आमदमी में इजाफा हो सके.
कृषि बजट 2023 के लिए किसानों की मांग-सुझाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने कृषि के विशेषज्ञों, कृषि प्रसंस्करण उद्योग के प्रतिनिधियों और किसान सगंठनों के साथ बजट पूर्व बैठक का आयोजन करके परामर्श किया. इस बीच यूनियन बजट 2023-24 पर भारतीय कृषक समाज के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने यह मांग रखी कि सरकार को उन कृषि उत्पादों के आयात को मंजूरी नहीं देनी चाहिए, जिन्हें मंगवाने की लागत न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो.
इस बीच कृषि क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर की जगह मानव संसाधन विकास के मुद्दे पर भी फोकस करने का सुझाव आया. इस बीच भारतीय कृषक समाज के चेयरमैन ने खेतों से वैश्विक स्तर पर स्वैच्छिक कार्बन क्रेडिट के व्यापार को मंजूर करने को भी कहा, जिससे किसानों को सही दाम मिल सकें.
गेहूं-चावल निर्यात प्रतिबंध को हटाएं
इस बीच कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रधुनाथ दादा पाटिल ने गेहूं और टूटे चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का भी प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों से किसानों की आमदनी पर बुरा असर पड़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि कृषि उत्पादों के निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा हासिल करने में भी मदद मिलेगी.
बता दें कि जलवायु परिवर्तन के चलते देश में खाद्य उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इस बीच देश में खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित करने और महंगाई दर को कम करने के लिए सरकार ने गेहूं और टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.
बढ़ाएं खाद्य तेलों का उत्पादन
कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (CIFA) के अध्यक्ष पाटिल ने सुझाव दिया कि सरकार को खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन पर फोकस करना चाहिए. इसके आयात पर निर्भरता कम करने के लिए पाम तेल के बजाए सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली और सरसों की पैदावार बढ़ाने पर जोर देना होगा.
इस बैठक में चाय, कॉफी, मसालों, रबर और नारियल जैसी फसलों को भी कृषि मंत्रालय के अंतर्गत लाने पर भी चर्चा हुई. वहीं किसानों ने सिंचाई के लिए नदियों को जोड़ने का भी मुद्दा वित्त मंत्री के समक्ष रखा. इस बीच ऑर्गेनिक फार्मिंग और नेचुरल फार्मिंग पर भी चर्चा हुई.
किसानों को मिले सब्सिडी का लाभ
भारतीय किसान संगठन ने यह मांग रखी कि किसानों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ पहुंचाने या इनपुट मटेरियल को जीएसटी से बाहर रखने पर भी सोचना चाहिए. सबसे अहम मुद्दा किसानों को मिलने वाली सब्सिडी का रहा, जिसको लेकर किसान संघों ने मांग रखी कि किसानों के नाम पर कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी का फायदा सीधा किसानों को मिलना चाहिए. सरकार को ये पैसा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)के तहत किसानों को भेजना चाहिए.
इसके अलावा, जैविक कृषि यूनिवर्सिटी में गाय और बकरी के रिसर्च के लिए भी बजट बढ़ाने पर चर्चा हुई. किसान संघों ने सुझाव दिया कि ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के तौर पर किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) में फायदा मिलना चाहिए. किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड को FSSAI लाइसेंस के तौर पर इस्तेमाल करने पर अनुमति देने का भी सुझाव दिया.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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