Kharif Crop Cultivation in Bundelkhand: भारत के कई राज्यों में बारिश का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा. जहां जुलाई की शुरुआत में बारिश न होने के कारण पूरा बुंदेलखंड (Bundelkhand) परेशान था. अब वही इलाका लगातार हो रही बारिश से तंग आ चुका है. दरअसल बुंदेलखंड में लगातार हो रही बारिश (Rain in Bundelkhand) के कारण किसान खरीफ फसलों की बुवाई का काम नहीं कर पा रहे हैं. जहां जून-जुलाई के बीच खेत सूखे पड़े थे, तो अब वही खेत कीचड़ से लबालब हो चुके हैं. ऐसी स्थिति में खेत को बुवाई लायक संरचना में ढलने के लिये 5 से 6 का समय लगता है, लेकिन जल्द ही बारिश न थमी तो किसानों को भारी नुकसान हो सकता है.


नमी में बुवाई करने पर फसलों को खतरा, किसानों को नुकसान
खरीफ सीजन (Kharif season 2022) की कई फसलें ऐसी भी हैं, जिनकी खेती के लिये अधिक पानी की जरूरत होती है और कुछ फसलें अधिक पानी सहन कर लेती हैं, लेकिन दलहन-तिलहन जैसी फसलों के लिये खेत में सिर्फ हल्की नमी काफी रहती है. 



  • फिलहाल स्थिति ये है कि खेतों में पानी भरता जा रहा है और नमी बढ़ती जा रही है. बारिश रुकने और खेतों को सामान्य हालत में लाने में भी काफी समय लग जायेगा.

  • अगर ज्यादा नमी के बीच किसान बुवाई भी कर लेते हैं तो पानी की अधिकता के कारण बीजों के सड़ने का खतरा बना रहता है. 

  • ज्यादा नमी वाले खेत में दलहन-तिहलन की बुवाई करने पर बीजों में अंकुरण की समस्या भी पैदा हो जाती है, जिससे फसलों का उत्पादन बाधित होता है.




खरीफ सीजन में कम उत्पादन का अनुमान (Expected Low Production in Kharif Season)
खरीफ सीजन की एजवायजरी (Kharif Season Advisory)  में फसलों की बुवाई के लिये 21 जून से लेकर 15 जुलाई तक का समय ही सबसे बेहतर बताया गया था, लेकिन इस बीच कई इलाकों में बारिश ही नहीं हुई. इसी कारण किसानों ने मूंग, अरहर, तिल, बाजरा और ज्वार जैसी अहम फसल की बुवाई टाल दी.


माहौल ये है कि अब खरीफ फसलों की बुवाई 1 महीना देरी से चल रही है. ऐसे में पछेती फसल बोनो पर भी किसानों को खास फायदा नहीं होगा, जिसके बाद रबी की बुवाई में भी देरी हो सकती है. बुंदेलखंड क्षेत्र में इस साल करीब 102447 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई का अनुमान था, जिसमें दलहनी और तिलहनी फसलों का प्रमुख रुप से उत्पादन लेना अहम लक्ष्य था.


पछेती खेती से रबी की फसलों में देरी (Late cultivation of Kharif delays Rabi Crops)
बुंदेलखंड के किसान खरीफ सीजन में फसलों की बिजाई का काम जुलाई के प्रथम-दूसरे पखवाड़े में पूरा कर लेते थे, लेकिन इस साल जलवायु परिवर्तन (Climate Change in Agriculture)  के कारण बारिश का रुख साफ नहीं रहा, जिस कारण बुवाई में देरी हुई.



  • अब अगर किसान अरहर की फसल के अलावा मूंग, उड़द, तिल, मूंगफली, ज्वार और बाजरा जैसी फसलों को उगाते हैं तो इन्हें पकने में करीब 3 महीने का समय लग जायेगा. यानी अगस्त में बोई गई खरीफ की पछेती फसल अक्टूबर-नंवबर तक तैयार हो पायेगी. 

  • वहीं दूसरी तरफ रबी की फसलों (Rabi Season 2022) की बुवाई का काम अक्टूबर के मध्य से लेकर नवंबर के दूसरे पखवाड़े तक चलता है. ऐसे में खरीफ फसलों से घिरे खेतों में रबी की बुवाई का काम भी देरी से होगा. इस कदम से सालभर का पूरा फसल चक्र (Agriculture 2022) तो प्रभावित होगा ही, साथ ही फसलों की क्वालिटी पर भी बुरा असर पडेगा.


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