Organic farming Around Ganga Banks: किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिये भारत सरकार और कृषि विभाग कई योजनाओं पर काम कर रहे है. किसानों को गंगा नदी के किनारे जैविक खेती करने के लिये प्रोत्साहित करना भी इन्हीं प्रयासों में शामिल है. जानकारी के लिये बता दें कि पवित्र गंगा नदी के किनारे की खाली जमीन काफी उपजाऊ होती है. यहां जैविक खेती करने से नदी का जल स्तर भी कायम रहेगा और किसानों दोगुना आमदनी कमाने का मौका भी मिल जायेगा.


जाहिर है कि जैविक खेती को कम लागत में अधिक मुनाफा कमाकर देने वाली तकनीक कहते हैं. वहीं गंगा किनारे जैविक खेती करने के लिये रासायनों से भी ज्यादा शक्तिशाली जीवामृत का इस्तेमाल किया जायेगा. इससे फसल के बेहतर उत्पादन और फसल की अच्छी बढ़वार लेने में काफी मदद मिलती है. इतना ही नहीं, सिंचाई के लिये प्राकृतिक और औषधीय गुणों से भरपूर गंगा का पानी ही काम आ जायेगा. जिससे फसल की लागत में कमी और आमदनी डबल हो जायेगी.


कृषि और  मार्केटिंग  के लिये ट्रेनिंग
गंगा किनारे जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार किसानों को पट्टे पर जमीन तो दे रही है. इसी के साथ, किसानों को आर्थिक अनुदान के साथ ट्रेनिंग की सुविधा भी मिल रही है. इस मामले में खुद कृषि विभाग किसानों के स्वंय सहायता समूह बनाकर उन्हें जैविक तौर से खेती करने और उन जैविक उत्पादों की मार्केटिंग का तरीका सिखा रहे हैं. जिससे किसान खेती के साथ-साथ अपने उत्पादों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और प्रमोशन करके आत्मनिर्भर बन सकें. अभी तक हजारों किसानों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिसके बाद किसान गंगा की उपजाऊ मिट्टी में मूंगफली, केला, काला गेहूं और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. 


किसानों को मिलेगा अनुदान
गंगा किनारे जैविक खेती वाली योजना पर सरकार तेजी काम कर रही है. इस योजना को नमामि गंगे योजना से भी जोड़ दिया गया है. इस योजना के तहत किसानों को 1 हैक्टेयर पर 36,000 रुपये तक की आर्थिक सहायता का प्रावधान है. हालांकि गंगा किनारे जैविक खेती करने के इच्छुक किसान को पंजीकरण करवाना अनिवार्य है, जिसमें 20,000 रुपये पंजीकरण शुल्क के रुप में लिये जाते हैं. लेकिन जो किसान यहां दीर्घकाल यानी 3 साल तक जैविक खेती करनाचाहते हैं, उन्हें कोई पंजीकरण शुल्क नहीं देना होगा.


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