Animal Husbandry: बीकानेर का ऊंट फेस्टिवल तो खत्म हो गया है. ढोल की थाप पर ठुमक-ठुमक कर नाचते ऊंटों की तस्वीर अभी-भी दिमाग पर छपी हुई है. कई लोगों को मन में यही सवाल है कि आधुनिकता के दौर में ऊंट कल्चर कैसे कायम है. राजस्थान से लेकर गुजरात के रेगिस्तानी इलाकों में आज भी लोग ऊंट की बदौलत ही अपना जीवनयापन कर रहे हैं. बेशक आज दूध उत्पादन के लिए गाय और भैंस पालन को ही बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन ऊंट के दूध की मांग भी कम नहीं है, हालांकि गाय-भैंस के मुकाबले ऊंट से कुछ मात्रा में दूध मिलता है.
नेचुरल इंसुलिन और तमाम औषधीय गुणों के कारण कई विदेशी बाजारों में ऊंट का दूध पसंद किया जाता है. यदि आप भी ऊंट पालने का मन बना रहे हैं तो इस आर्टिकल में आप ऊंट की नस्ल, कीमत, दूध के दाम और कैमल फार्मिंग बिजनेस सेटअप करने का पूरा प्लान बढ़ सकते हैं.
क्यों बढ़ रही ऊंट के दूध की डिमांड
कई रिसर्च से पता चला है कि ऊंच के दूध में गाय के दूध के मुकाबले कम फैटी एसिड, कोलेस्ट्रॉल और शर्करा पाया जाता है. इसमें ओमेगा-3, मैग्नीशियम, जस्ता और आयरन समेत कई खनिज तत्वों के साथ विटामिन सी, बी-2, ए और ई भी पाए जाते हैं.
आज ऊंटनी का एक लीटर दूध ही 2,000 से 2,500 रुपये प्रति लीटर के भाव बिक रहा है. यह भी इसलिए क्योंकि ऊंट पालन का चलन काफी कम है और बाजार में दूध की मांग काफी ज्यादा. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि जहां एक दिन में गाय से 50 लीटर तक दूध मिलता है तो वहीं ऊंटनी 7 से 8 लीटर दूध देती है.
कैसी होती है डाइट
वैसे तो ऊंटों पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता, लेकिन कुछ खास नस्ल वाले ऊंटों के अलग ही ठाठ-बाठ होते हैं. किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार, लंकापति ऊंट को रोजाना 5 किलो दूध पिलाया जाता है. इन ऊंटों की रोजाना साफ-सफाई की जाती है. रोजाना पौष्टिक आहार दिया जाता है, ताकि शरीर हष्ट-पुष्ठ रहे. इन ऊंटों की सेहत और इम्यूनिटी बेहतर रहती है. झुंझनु के लंकापति की कीमत 5 लाख रुपये आंकी गई है.
कितनी कीमत में मिलता है ऊंट
हर पशु की नस्ल के हिसाब से उसके दाम तय किए जाते हैं. बिल्कुल इसी तरह ऊंट की हर नस्ल की अपनी खूबियां है. प्रमुख नस्लों में बीकानेरी, मेवाड़ी, जालोरी, शाचोरी, मारवाड़ी, बाड़मेरी, जैसलमेरी शामिल हैं. हर ऊंट की कीमत 60,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक होती है.
ऊंट पालने के लिए अनुदान
रेगिस्तान का जहाज ऊंट बहुत भोला-भाला पशु है, जो पत्ती, हरी घास और पानी पीकर अपना काम चला लेता है. ऊंटों के संरक्षण-संवर्धन के लिए राजस्थान सरकार ने खास स्कीम चलाई है, जिसके तहत 10,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है. इस स्कीम के तहत मादा और शिशु पशुओं की टैगिंग करके पहचान पत्र भी जारी किए जाते हैं, जिसके लिए पशु चिकित्सक को 50 रुपये का मानदेय दिया जाता है. इसके बाद ही अनुदान की पहली किस्त के 5,000 रुपये और ऊंट के बच्चे के एक साल के होने पर दूसरी किस्त के 5,000 रुपये दिए जाते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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