Precaution for New Born Animals: भारत में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र तेजी से बढ़ता जा रहा है. पशुपालक तो अच्छा मुनाफा कमा ही रहे  हैं, साथ ही पशुओं का भी खूब ख्याल किया जा रहा है. लेकिन पशु के नौनिहाल के लिये जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. अक्सर देखने में आता है कि पशुपालक और किसान पशुओं के नौनिहालों यानी नवजात पशुओं की ठीक प्रकार देखभाल नहीं कर पाते, जिसके चलते नवजात पशु कमजोर पड़कर बीमार हो जाते है. खासकर तपती गर्मी में नवजात पशुओं का ख्याल रखने की जरूरत होती है. इस बीच पशुपालक इन बातों को ध्यान में रखकर काम कर सकते हैं-



  • गर्भावस्था के समय से ही माता गाय और माता भैंस को भरपूर मात्रा में पोषक आहार प्रदान करें.

  • नवजात पशुओं के जन्म लेते ही उनकी नाक से बलगम निकाल दें

  • अगर बलगम बाहर नहीं आता, तो पशुओं की पिछली टांगों को ऊपर उठायें, जिससे उनका सिर नीचे और बलगम बाहर निकल जायेगा.

  • नवजात पशु के शरीर को साफ सपड़े से या जूट की बोरी साफ कर दें.

  • नौनिहाल की सांस चैक करते रहें.

  • यदि नवजात पशु को सांस लेने में समस्या हो तो नौनिहाल को पशु चिकित्सक के पास ले जायें,

  • नवजात पशु को मां का पहला दूध मिलना बेहद जरूरी है, जन्म के आधे घंटे अंदर नवजात को मां का दूध पिलायें.

  • दूध का सेवन करने से नवजात पशु की इम्यूनिटी बेहतर रहती है.


जानकारी के लिये बता दें कि नवजात पशुओं का ख्याल रखना नौनिहाल और मां दोनों की सेहत के लिये बेहद जरूरी है. क्योंकि ये छोटे पशु ही पशुपालकों को भविष्य में लाभ लेने के लिये मदद करेंगे. इसलिये पशुओं की समय पर साफ-सफाई, खान-पान और अच्छे रहन-सहन की सुविधा प्रदान करें.


गर्मियों में खास देखभाल
गर्मियों में पशुओं का खास देखभाल की जरूरत होती है, ऐसी स्थिति में पशुपालक पशुओं के लिये हवादार तबेला बनायें.



  • पशुओं के बाड़े या तबेले की समय पर सफाई करते रहें

  • नवजात पशु के लिये तबेले में जमीन पर जूट की बोरियां या फिर कपड़ा बिछायें.

  • दिन में धूप और लू को तबेले में आने से रोकें और तबेले के दरवाजे को बोरियों से ढँक दें.

  • नवजात पशु को कीड़े और बीमारियों से बचाने के लिए 15 दिन के अंदर जून की पहली खुराक दें.

  • पैदाइश के 15 दिन बाद नवजात को हरा चारा और नरम घास की खिलायें.

  • पशु चिकित्सक की सलाहनुसार नवजात पशु को टीकाकरण करवायें.


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