Cassava Farming: पैदावार के मामले में आलू का रिकॉर्ड तोड़ रहा है कसावा, इन इलाकों में होगी मोटी कमाई
Cassava Cultivation: कसावा की श्री रक्षा किस्म एक रोग प्रतिरोध किस्म है, जिसमें कीड़ और बीमारियां लगने की संभावना नहीं होती. ये किस्म प्रति हेक्टेयर खेत में 45 टन तक का उत्पादन देती है.
Tuber Crop Cassava Farming: खेती-किसानी के जरिये अच्छी आमदनी कमाने के लिये किसानों और वैज्ञानिकों द्वारा कई सफल प्रयास किये जा रहे हैं. अब बेहतर उत्पादन के लिये किसान उन्नत तकनीकों (Agriculture Techniques) और उन्नत किस्मों पर काम कर रहे हैं. वैसे पारंपरिक फसलों का काफी महत्व है, लेकिन बागवानी फसलें (Horticulture Crops) भी किसानों को काफी अच्छा मुनाफा दे रही है.
इन्हीं बागवानी फसलों में शामिल है कसावा (Cassava). बहुत ही कम लोग जानते हैं कि कसावा का इस्तेमाल साबूदाना बनाने में किया जाता है. दक्षिण भारत (Cassave Farming in North India) के किसान इसकी खेती करके अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.
क्या है कसावा
कसावा कंद वाली फसल है, जिसकी जड़ें स्टार्च से भरपूर होती है. कसावा की बनावट शकरकंद की तरह होती है, लेकिन इसकी लंबाई ज्यादा होती है. जमीन में उगने वाली इस फसल से भरपूर मात्रा में स्टार्च मिलता है, जिससे साबूदाना बनाने के लिये गूदा तैयार किया जाता है.
इसकी खेती ज्यादातर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में की जाती है. कम पानी और बिना उपजाऊ मिट्टी में भी कसावा का अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. साबूदाना के अलावा कसावा को सबसे बेहतर पशु चारे के तौर पर भी जानते हैं. इसके सेवन से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बनता है और दूध की मात्रा भी बढ़ती है.
इस तरह होती है खेती
कंद वाली फसलों की तरह कसावा की खेती भी इसकी जड़ों की रोपाई करके ही की जाती है. वैसे तो हर तरह की जलवायु और मिट्टी में इसकी खेती कर सकते हैं, लेकिन दिसंबर का महीने में इसके कंद तेजी से फूटते हैं. समतल से लेकर ढ़लान वाले स्थानों तक इसकी खेती करना बेहद आसान है, लेकिन खेत में जल निकासी का इंतजाम होना चाहिये.
ये हैं उन्नत किस्में
कसावा की खेती से पहले इसकी उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें. भारत में कसावा की श्री सहया, श्री प्रकाश, श्री हर्षा, श्री जया, श्री रक्षा, श्री विजया हाइब्रिड किस्मों के अलावा श्री विसखाम, एच-97, एच-165, एच226 आदि भी किसानों के बीच काफी मशहूर है. कई किसान साबूदाना उद्योग के लिहाज से कसावा की व्यावसायिक खेती भी करते हैं.
श्री रक्षा किस्म
कसावा की श्री रक्षा किस्म एक रोग प्रतिरोधr किस्म है, जिसमें कीड़s और बीमारियां लगने की संभावना नहीं होती. ये किस्म प्रति हेक्टेयर खेत में 45 टन तक का उत्पादन देती है. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसकी खेती में कीटनाशकों और रोग प्रबंधन की का झंझट ही नहीं रहता, जिस कारण किसानों पर पड़ने वाला अतिरिक्त खेती का बोझ भी कम हो जाता है. साधारण किस्मों के मुकाबले ये 50 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन देती है, जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.
कहां बेचें कसावा
भारत में व्रत-उपवास और कई इलाकों में साबूदाने का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है, इसलिये कसावा की खेती (Cassava Farming) कभी फेल नहीं होती, बल्कि ये आलू की तुलना में अधिक उत्पादन (Cassava Production) देती है. दक्षिण भारत (Agriculture in South Indian) में इसकी गिनती गेहूं और धान जैसी नकदी फसलों की लिस्ट में की जाती है, इसलिये इसकी खेती करने से पहले बाजार की जानकारी होनी चाहिये.
वैसे तो कई कंपनियां कसावा की कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming of Cassava) करवाती हैं, जिनसे जुड़कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा कई किसान इसकी व्यावसायिक (Commercial farming of Cassava) खेती करके दूसरे देशों के लिये भी कसावा का उत्पादन करते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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