Rice Export: टूटा चावल के निर्यात को मिली हरी झंडी, अब 31 मार्च तक विदेश भेज सकते हैं ब्रोकन राइस
Broken Rice Export: ये फैसला सिर्फ 9 सिंतबर से पहले जारी कांट्रेक्ट के लिए ही मान्य रहेगा, जिसे निर्यात करने के लिए 31 मार्च तक डेडलाइन रखी गई है. इससे भी चावल निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी.
Pre-Ordered Rice Export: इस साल मौसम के अनिश्चितता के कारण धान की रोपाई का रकबा काफी कम रहा. पहले से ही जोखिमों को भांपते हुए केंद्र सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे प्रीऑर्डर चावल के निर्यात पर भी रोक लग गई, लेकिन अब केंद्र सरकार ने सफेद भूरा और टूटे चावल के निर्यात (Broken Rice Export) को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार के नये नोटिफिकेशन में 9 सितंबर से पहले जारी राइस के कांट्रेक्ट को निर्यात के लिए मंजूरी मिल गई है.
बता दें कि कई चावल निर्यातकों ने बंदरगाहों पर अटके इस चावल के निर्यात को लेकर सरकार से गुहार लगाई थी, जिसके बाद सरकार ने अनुमति दे दी है. बता दें कि बाकी चावल निर्यात पर अभी प्रतिबंध जारी रहेंगे. ये फैसला सिर्फ 9 सिंतबर से पहले जारी कांट्रेक्ट के लिए ही मान्य रहेगा, जिसे निर्यात करने के लिए 31 मार्च तक डेडलाइन रखी गई है. इससे भी चावल निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी.
टूटे चावल के निर्यात पर लगा था प्रतिबंध
भारत में इस साल बारिश का रुख कुछ साफ नहीं रहा. कई इलाकों में सूखा पड़ने के कारण धान की रोपाई नहीं हो पाई, जिसके चलते 8 सितंबर को केंद्र सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस समय कई देशों को करीब 10 लाख टन चावल निर्यात किया जा रहा था, जो बंदरगाहों पर ही रोक लिया गया. इतना ही नहीं, घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा दाम को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग ग्रेड के चावलों पर भी 20% तक शुल्क लगा दिया गया था.
इस देश को मिलेगा चावल
देश में धान की रोपाई का रकबा कम होने के बावजूद चावल की घरेलू आपूर्ति में संतुलन बना हुआ है. यही कारण है कि अब सरकार ने नेपाल को भी चावल निर्यात करने की मंजूरी दे दी है. अपने एक नोटिफिकेशन में नेपाल को 6 लाख टन बिना पिसाई चावल निर्यात करने का फैसला किया है. बता दें कि नेपाल अपनी खाद्य आवश्यकताओं के लिए परंपरागत रूप से भारत पर निर्भर है.
यहां से कई तरह के कृषि उत्पाद नेपाल समय दूसरे देशों को निर्यात किए जाते हैं. वैसे तो चावल निर्यात में थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और म्यांमार भी बड़े प्रतिस्पर्धी हैं, लेकिन कई बेहतर क्वालिटी के चावल के लिए भारत से ही चावल आयात करते हैं.
40% चावल निर्यात करता है भारत
जानकारी के लिए बता देंगे विश्व में चावल आपूर्ति के लिए भारत से करीब 40% चावल निर्यात किया जाता है. यहां का सफेद और भूरा चावल तो डिमांड में रहता ही है, लेकिन कुछ देशों में ब्रोकन राइस यानी टूटे चावल की भी काफी मांग रहती है. यही कारण है की इससे पहले भी पिछले महीने सरकार ने 3,97,267 टन टूटे चावल के निर्यात को मंजूरी दी थी. आंकड़ों की मानें तो साल 2022 में भारत से कुल 93.54 लाख मीट्रिक टन चावल विदेशों को निर्यात किया गया है. इस चावल में 21.31 लाख मीट्रिक टन ब्रोकन राइस भी शामिल है. वहीं चावल के कुल निर्यात में 22.77 प्रतिशत हिस्सेदारी ब्रोकन राइस की होती है.
टूटा चावल का इस्तेमाल
कई देशों में साबुत चावल के साथ-साथ टूटे चावल की भी भारी डिमांड रहती है. टूटे चावल का इस्तेमाल शराब बनाने वाली इंडस्ट्री, एथेनॉल बनाने वाली इंडस्ट्री और यहां तक कि पॉल्ट्री और एनिमल इंडस्ट्री में भी किया जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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