Farmers Cooperative Society: देश का सहकारिता क्षेत्र सीधा ग्रामीण क्षेत्र और किसानों, कृषि के उत्पादन और किसानों की आमदनी से जुड़ा है. इसी क्षेत्र से अब किसानों को और लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने 3 सहकारी संगठनों को मंजूरी दे दी है. बता दें कि सरकार ने साल 1982 में को-ऑपरेटिव एक्ट और साल 1987 में ट्राइफेड बनाया था. इस तरह 35 साल के लंबे इंतजार के बाद अब नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट सोसाइटी, नेशनल लेवल को-ऑपरेटिव सोसाइटी फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स, नेशनल मल्टी स्टेट सीड को-ऑपरेटिव सोसाइटी की स्थापना की जाएगी.


सहकार से समृद्धि और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने इन 3 संस्थाओं का गठन करने की मंजूरी दे दी है. केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि केंद्रीय मंत्रालय और सरकार के पूरे सहयोग से किसानों की उपज को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक्सपोर्ट करने का प्लान है. साथ ही उपज की मार्केटिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए भी केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है.






देश में 8 लाख 50  हजार पंजीकृत सहकारिता संघ है, जिसमें करीब 29 करोड़ से मेंबर है. इन सदस्यों में सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र से और किसान ही है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि देश में जैविक उत्पादन की काफी क्षमता है, जिसे बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए नेशनल लेवल को-ऑपरेटिव सोसाइटी फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की ओर से किसानों को उत्पादन क्षेत्र के नजदीक ही तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी, जिनमें सस्ती दरों पर जैविक उत्पादों की जांच, सर्टिफिकेशन और तकनीकी सहयोग देना शामिल है.


इससे किसानों को अपने जैविक उत्पादों की सही मार्केटिंग और उचित दाम हासिल करने में भी मदद मिलेगी. वहीं नेशनल मल्टी स्टेट सीड को-ऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा किसानों को सीड का उत्पादन और बिक्री, बीज बैंक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.


नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटिड से भी मदद
नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटिड नामक नई संस्थागत सोसाइटी के जरिए भी ट्रेडिंग, प्रोक्योरमेंट, स्टोरेज, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, सर्टिफिकेशन, के साथ-साथ किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकी गाइडेंस दी जाएंगी. इस संगठन के जरिए सरकार की एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम को भी सहकार से जोड़ा जाएगा.






ऑनालइन पेमेंट से जुड़ेंगे किसान
हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट कमेटी की मीटिंग में Rupay डेबिट कार्ड और भीम यूपीआई इंसेटिव स्कीम को भी मंजूरी दी है. इस स्कीम के जरिए डिजिटल पेमेंट को अब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME Sector) , अन-ऑर्गेनाइज सेक्टर के साथ-साथ किसान और मजदूरों तक ले जाना संभव हो पाएंगा. इस स्कीम के लिए भी केंद्र सरकार ने 2,600 करोड़ मंजूर किए हैं. 


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