Kisan Drone: तकनीक ने जैसे-जैसे विकास किया. वैसे ही सुविधाएं बढ़ती गई. एग्रीकल्चर के क्षेत्र में भी नई नई तकनीक से खेती की जा रही है. पहले जहां एक फसल को बोने से लेकर काटने तक एक साल गुजर जाता था, वहीं अब आ रही मशीनों से कुछ महीने या दिनों में ही फसल को बो लिया जाता है और एक निश्चित अंतराल में काट लिया जाता है.
ड्रोन एक ऐसी ही तकनीक है, जिसने एग्रीकल्चर के क्षेत्र को बढ़ावा दिया है. काफी संख्या में किसान ड्रोन का खेतों के लिए प्रयोग कर रहे हैं. वह ड्रोन से खेत में छिड़काव करते हैं और कहीं फसल को जानवरों ने या किसी ने नुकसान तो नहीं पहुंचाया है. इसको भी 3D कैमरे के माध्यम से देख लेते हैं. सेंट्रल गवर्नमेंट ड्रोन खरीदने के लिए 40 परसेंट से लेकर 100 परसेंट तक सब्सिडी दे रही है.
आइए जानते हैं कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने किस वर्ग को कितनी सब्सिडी तय की है. सेंट्रल गवर्नमेंट ने इस स्कीम को Kisan Drone नाम दिया है.
इतनी सब्सिडी हुई तय
- कृषि प्रशिक्षण संस्थानों एवं कृषि विश्वविद्यालय को ड्रोन की खरीद पर 100 परसेंट तक या 10 लाख रुपए तक सब्सिडी दी जाएगी.
- कृषक उत्पादक संगठनों को ड्रोन की खरीद पर 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी.
- एग्रीकल्चर से ग्रेजुएट युवा एससी, एसटी वर्ग एवं महिला किसान को 50 परसेंट या 5 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी.
- अन्य किसानों को 40 परसेंट या 4 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी
हजारों करोड़ का है ड्रोन कारोबार
ड्रोन मार्केट के जानकारों के अनुसार, ड्रोन की मार्केट में वैल्यू का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2030 तक कमर्शियल ड्रोन का कारोबार करीब 75 हजार करोड़ तक हो सकता है. इसमें अकेले कृषि ड्रोन की भागीदारी 30 पर्सेंट से अधिक है. 2025 तक कमर्शियल डॉन का व्यापार 15000 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है. स्पेशलिस्ट का कहना है कि काम की सहूलियत को देखते हुए लोगों की डिपेंडेंसी ड्रोन पर बनी है. खेत में काम करने वाला किसान 30 एकड़ स्प्रे करने में किसान कई बार महीने तक लगा देते हैं.
जहां फसल खराब, वहीं होगा छिड़काव
ड्रोन के यूज करने का फायदा यह है कि इससे क्रॉप की सही स्थिति की जानकारी हो जाती है. ड्रोन में कैमरे लगे हुए थे. जब पायलट उसे उड़ाता है तो फसल में कहां रोग लगा हुआ है और कहां नहीं, इसकी जानकारी कैमरे से दूर बैठे हुए हो जाती है.
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