Farmers Income: केंद्र और राज्य सरकारें लगातार देश में एग्रीकल्चर ग्रोथ को लेकर काम कर रही हैं. गवर्नमेंट की कोशिश है कि अधिक से अधिक किसान खेती बाढ़ी से जुड़ें. किसानों की इनकम डबल करने के लिए केंद्र व स्टेट गवर्नमेंट प्रयासरत हैं. अब इस प्रदेश में खेती किसान को नेचुरल बनाने और किसानों की इनकम बढ़ाने की पहल की गई है. योजना के तहत पढ़े लिखे किसानों को निर्धारित मानदेय मिलेगा.
उत्तर प्रदेश की राजधानी में 1000 हेक्टेयर में होगी नेचुरल फार्मिंग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल मिशन ऑफ नेचुरल फार्मिंग स्कीम के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने की कवायद की जाएगी. इसके लिए मलिहाबाद और बीकेटी ब्लॉक के 1200 किसानों का चयन किया गया है. इन दानों ब्लॉकों में 1000 हेक्टेयर में नेचुरल फार्मिंग होगी. प्रत्येक ब्लॉक मेें 500 हेक्टेयर में खेती का टारगेट तय किया गया है. एक क्लस्टर में 50 हेक्टेयर भूमि तय की गई है. एक ब्लॉक में 10 हेक्टेयर यानि दोनों हेक्टेयर में 20 क्लस्टर बनाकर खेती की जाएगी.
पढ़े लिखे किसानों को मिलेगा रोजगार
खेती बाढ़ी से जुड़े 1200 किसानों को राज्य सरकार सब्सिडी भी देगी. वहंी, नेचुरल फार्मिंंग करने वाले पढ़े लिखे किसानों को नौकरी मिलेगी. योजना के तहत प्रत्येक क्लस्टर मेें एक चैंपियन किसान और एक रिसोर्स पर्सन रखा जाएगा. चैंपियन किसान का मानदेय 3000 रुपये और रिसोर्स पर्सन का मानदेय 2500 रुपये होगा. चैंपियन किसान का काम होगा कि ये क्लस्टर से जुड़े किसानों को नेचुरल फार्मिंग का तरीका बताएंगे. किस तरह से नेचुरल फार्मिंग से कमाई की जा सकती है. यह भी बताया जाएगा. वहीं, रिसोर्स पर्सन खेतीबाढ़ी का पूरा डाटा जुटाएगा.
किसानों को मिलेंगी गाय
याोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जो लोग गोपालक हैं. उन्हें इस काम में प्राथमिकता दी जाएगी. दरअसल, नेचरुल फार्मिंग गोमूत्र और गोबर से जुड़ी खेती है. ऐसे मेें वो किसान इस खेती को अधिक समझ सकते हैं, जोकि खुद गाय का पालन कर रहे हों. गो पालन के लिए इच्छुक ऐसे किसानों को गो आश्रय केंद्रों से गाय दिला दी जाएगी.
ऐसे होती ही नेचुरल फार्मिंग
नेचुरल फार्मिंग का सीधा अर्थ है कि खेत मेें किसी तरह के कैमिकल का प्रयोग न करना. यूरिया, डीएपी, एनपीके या कीटनाशक का प्रयोग इस तरह की खेती मेें नहीं किया जाता है. गोबर और गोमूत्र मिलाकर नेचुरल तरीके से खाद तैयार की जाती हैं. इसमें कुछ खर्च भी नहीं आता है. उत्पादन बंपर होता है और जमीन की उर्वरक क्षमता भी बढ़ जाती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.