Successful Farmer: देश की कृषि योग्य भूमि का बड़ा हिस्सा पारंपरिक फसलों से कवर होता है, लेकिन जलवायु की बढ़ती चुनौतियों के बीच नुकसान बढ़ रहा है और किसान सही इनकम नहीं ले पा रहे. ये फसलें लंबी अवधि की भी होती हैं, इसलिए किसा कम अवधि वाली बागवानी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. इनकी खेती के लिए सरकार से अनुदान मिलता ही है, नई तकनीकों के इस्तेमाल से उत्पादन भी अच्छा मिलने लगता है. सरकार की मदद से बागवानी फसलों की ओर रुख करने वाले किसानों में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के किसान कृष्ण दत्त भी शामिल हैं, जो बैकुण्ठपुर विकासखंड के महोरा गांव स्थित अपनी 5 एकड़ जमीन पर धान और मक्का उगाते थे, लेकिन पुराने तौर-तरीके से कुछ खास कमाई नहीं हो पा रही थी, लेकिन उद्यानिकी विभाग की मदद से सब्जियों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.


बागवानी विभाग की मदद से बढ़ाई इनकम
सब्जी उत्पादक किसान कृष्ण दत्त बताते हैं कि उद्यानिकी विभाग के संपर्क में आने पर उन्हें राष्ट्रीय बागवानी मिशन के बारे में जानकारी मिली. खेत में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगवाने के लिए बागवानी विभाग ने 70 प्रतिशत अनुदान का लाभ दिया. इसके बाद 2.5 एकड़ खेत में 1 लाख 29 हजार रुपये खर्च करके नई तकनीकों की मदद से सब्जियों की खेती चालू कर दी.


आज कृष्ण दत्त अपने खेतों में गोभी, मिर्च, बैंगन, टमाटर, कद्दू और पपीता की फसल लगाते हैं, जिससे सालभर में 8 से 10 लाख तक की कमाई हो रही है. ड्रिप सिंचाई के अलावा पैक हाउस योजना, शेड नेट योजना, पावर वीडर योजना और डीबीटी योजना से भी भी लाभ मिल रहा है.


ड्रिप सिंचाई से बड़ा उत्पादन
पारंपरिक खेती की राह छोड़ सब्जियां उगाने वाले कृष्ण दत्त बताते हैं कि ड्रिप सिंचाई सिस्टम की मदद से खेती करने पर काफी लाभ हुआ है. इससे पानी की कम खपत में ही बूंद-बूद सिंचाई से ही सब्जी फसलें तैयार हो जाती है.


इस आधुनिक सिंचाई प्रणाली के जरिए किसान भाई अपने खेतों या फल-सब्जियों के बागों में आसानी से सिंचाई कर सकते हैं. इस तकनीक से सीधा फसल की जड़ों में सिंचाई की जाती है, ताकि संतुलित मात्रा में पानी के साथ पोषक तत्व भी पहुंच सकें.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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