(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Agri Innovation: 'धान के कटोरा' छत्तीसगढ़ में लहलहा रहे सेब के बाग...गर्म प्रदेश में कैसे मुमकिन हुई सेब की बागवानी? यहां जानें
'धान का कटोरा' कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में आज सेब की बागवानी हो रही है. कभी यहां के किसान धान के अलावा किसी और फसल की खेती के बारे में सोचते भी नहीं थे, लेकिन अब किसान खुद आगे आकर सोच बदल रहे हैं
Apple Cultivation: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं. राज्य में धान की सैंकड़ों प्रजातियां उगाई जाती है. कुछ में औषधीय गुण भी होते हैं. यहां के चावल की क्वालिटी प्रीमियम होती है. इसे छत्तीसगढ़ की मिट्टी और जलवायु से विशेष गुण मिलते हैं. इस चावल को विदेशों तक निर्यात किया जाता है. छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाली चावल की कई किस्मों को जीआई टैग भी मिला हुआ है. चावल की खेती से यहां के किसानों को अच्छा मुनाफा होता रहा है,इसलिए कई दशकों तक यहां के किसानों ने धान के अलावा कोई और फसल उगाने की प्लानिंग ही नहीं की. लेकिन खेती के बदलते परिदृश्य को देखते हुए अब यहां के किसान दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.
किसानों का रुझान बागवानी फसलों की ओर बढ़ रहा है. अब गर्म प्रदेश छत्तीसगढ़ में सर्द इलाकों का सेब उगाया जा रहा है. इस नवाचार को राज्य सरकार भी फुल सपोर्ट कर रही है. राज्य में सेब की बागवानी की शुरुआत करने का जिम्मा उठाया है सूरजपुर जिले के प्रतापपुर इलाके में रहने वाले किसान मुकेश गर्ग ने.
छत्तीसगढ़ में किसान ने लगा दिए सेब के बाग
आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन प्रतापपुर के किसान मुकेश सिंह ने कृषि एवं बागवानी विभाग के सहयोग से गर्म इलाके में सेब की बागवानी चालू कर दी हैं. इन्होंने अपनी जमीन पर सेब की अलग-अलग वैरायटी के 100 से भी अधिक पौधे लगाने का सफल प्रयोग किया है. ये किसान मुकेश गर्म की मेहनत का नतीजा है कि अब पौधे परिपक्व हो गए हैं और इन पर फलों आने शुरू हो गए हैं और जल्दी ये पककर खाने लायक तैयार हो जाएंगे.
कैसे हुआ ये कमाल
अभी तक सेब को सर्द प्रदेशों का फल मानते थे. देश-विदेश में हिमाचल प्रदेश,जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड जैसे कम तापमान वाले राज्यों में सेब की खेती की जाती रही है. यहां का सर्द मौसम सेब की बागवानी के लिए अनुकूल है और यहीं पर सेब का क्वालिटी प्रोडक्शन मिलता है.
लेकिन कृषि विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब किसी भी फसल की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु पर निर्भरता नहीं रही. गर्म प्रदेशों में सेब की बागवानी का ये प्रयास भी विज्ञान के जरिए सफल हो पाया है.
दरअसल हिमाचल प्रदेश में सेब की खास किस्म विकसित की जा चुकी है, जिसे छत्तीसगढ़ की जलवायु में उगाया जा सकता है. इस किस्म की जानकारी मिलते ही किसान मुकेश गर्ग ने अपने जिले के कृषि एवं उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया और इस वैरायटी के पौधे मंगवाकर अपनी जमीन पर लगवाए.
खेती में हो रहा नवाचार
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) April 10, 2023
हर कदम पर साथ खड़ी है छत्तीसगढ़ सरकार
मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel की पहल पर खेती में नवाचार से समृद्ध हो रहे छत्तीसगढ़ के युवा किसान#CGModel #छत्तीसगढ़_सरकार_भरोसे_की_सरकार @SurgujaDist pic.twitter.com/omRbwVsgkG
इस तरीके से की सेब की बागवानी
किसान मुकेश गर्ग ने हिमाचल प्रदेश से सेब की अलग-अलग वैरायटी के जो पौधे ऑर्डर किए थे, उन्हें नवंबर से लेकर फरवरी के बीच रोपित किया जाता है. इन पौधों की रोपाई के लिए मुकेश गर्ग ने पहले से ही अपने खेत में 2*2 फीट के गड्ढे तैयार किए और दीमकरोधी दवा का स्प्रे करके गड्ढों का उपचार किया.
इन गड्ढों को गोबर की खाद, मिट्टी, डीएपी और पानी से भरकर कुछ दिनों के लिए रखा गया. इससे गड्ढे सेब के पौधों की रोपाई के लिए तैयार हो गए. एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तरकीब से सेब के पौधे सुरक्षित रहते हैं. इनके रेशे निकलने का खतरा नहीं रहता.
इस तरकीब से सेब की बागवानी करने पर सिंचाई का भी ज्यादा खर्च नहीं आता. सीजन में 2-3 सिंचाई करते ही पौधों का अच्छा विकास हो जाता है. छत्तसीगढ़ कृषि एंव बागवानी विभाग के सहयोग से किसान मुकेश गर्ग ने जो किस्में लगाई है, उसमें हरमन 99, अन्ना और डोरसेट शामिल हैं.
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