Lac Cultivation: किसानों का पैसा डबल कर देगी ये फसल, ट्रेनिंग के साथ फ्री में लोन भी करवा रही ये सरकार
Lakh Ki Kheti:लाख की खेती ग्रामीण-जनजातीय लोगों की आजीविका का अहम हिस्सा बनती जा रही है, इसलिए अब राज्य सरकार ने किसानों को वैज्ञानिक ट्रेनिंग और सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध करवाने का फैसला किया है.
Lac Cultivation in Chhattisgarh: किसानों की आय को दोगुना करने के लिए पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. अलग-अलग राज्यों ने किसानों को विशेष बागवानी फसलों पर फोकस करने के लिए प्रेरित किया है. बागवानी फसलों की खेती के लिए तमाम योजनायें चलाई जा रही है, जिससे किसानों को कम खर्च में अच्छी आमदनी मिल सके.
इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार भी आगे आई है. राज्य में लाख की खेती को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लाख की खेती आजीविका का अहम हिस्सा बनती जा रही है. इसकी खेती के लिए अब राज्य सरकार ने किसानों को सही ट्रेनिंग और सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध करवाने का फैसला किया है.
सरकार ने तय किए लाख के दाम
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ ने बीहन लाख की आपूर्ति, मार्केटिंग और लोन की उपलब्धता जैसी तमाम व्यवस्थाएं की हैं. राज्य में लाख की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने इसकी खरीद के मूल्य भी तय कर दिये हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो कुसुमी बीहन लाख यानी बेर के पेड़ से प्राप्त लाख की क्रय दर 550 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि रंगीनी बीहन लाख यानी पलाश के पेड़ से प्राप्त लाख की क्रय दर 275 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है.
वहीं किसानों को इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कुसुमी बीहन लाख (बेर के पेड़ से प्राप्त ) के लिए किसानों कृषकों को देय विक्रय दर 640 रुपये प्रति किलोग्राम रखी गई है. वहीं रंगीनी बीहन लाख (पलाश के पेड़ से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 375 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित हुई है.
लाख की खेती के लिए लोन
लाख की खेती को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने जिला सहकारी बैंक के माध्यम निःशुल्क ब्याज लोन के साथ-साथ ट्रेनिंग की भी व्यवस्था की है. कुसुम के पेड़ पर लाख की खेती करने के लिए 5,000 रुपये, बेर के पेड़ पर लाख की खेती के लिए 900 रुपये और पलाश की खेती पर लाख की खेती के लिए 500 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से लोन दिया जाएगा.
वहीं वैज्ञानिक विधि से लाख की खेती के लिए राज्य लघु वनोपज संघ ने कांकेर इलाके में एक ट्रेनिंग सेंटर भी खोला है. यहां 03 दिवसीय इंस्टीट्यूशनल ट्रेनिंग के अलाना लाख उत्पादन क्लस्टर में ऑनफार्म ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवाई जा रही है.
छत्तीसगढ़ में लाख की खेती
जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीसगढ़ में लाख की परंपरागत खेती की जाती है. लाख यहां के ग्रामीण और जनजातीय इलाकों की नकदी फसल है. राज्य में करीब 50,000 से अधिक किसान आज लाख की खेती से जुड़े हुए हैं. यहां कुसुम और बेर के पेड़ों पर कुसुमी लाख, पलाश और बेर के पेड़ों पर रंगीनी लाख का उत्पादन किया जा रहा है.
आंकड़ों के मुताबिक, अकेले छत्तीसगढ़ से 4,000 करोड़ टन लाख का उत्पादन मिल रहा है, जिसकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये के आस-पास है. राज्य सरकार ने लाख के उत्पादन को 10,000 टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिससे किसानों की आय को 250 करोड़ रुपये करने की योजना है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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