Business Idea: कभी गाय और भैंस के गोबर को लोग बेमतलब ही समझते थे, लेकिन छत्तीसगढ़ ने पूरी दुनिया के सामने यह साबित कर दिखाया कि कैसे गोबर से किसी राज्य की अर्थव्यवस्था को बदला जा सकता है. आज छत्तीसगढ़ के गौठान औद्योगिक केंद्र के साथ-साथ एंप्लॉयमेंट सेंटर बन गए हैं. यहां महिला और युवाओं को रोजगार मिल रहा है. इन गौठानों में ही महिलाओं ने गोबर से तमाम तरह की जैव उर्वरक तैयार किए हैं, जिससे फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है और दूसरे राज्यों में भी निर्यात हो रहा है. इसी बीच छत्तीसगढ़ की महिलाओं के नए इन्नोवेटिव आइडिया ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रणी किया है. राज्य के गौठानों में महिलाएं अब गोबर से नेचुरल पेंट बना रही हैं. इस काम में सरकार भी अब इन महिलाओं का पूरा सहयोग कर रही है.


छत्तीसगढ़ में चल पड़ा गोबर से पेंट बनाने का बिजनेस
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में वनांचल के सराधु नवागांव के गौठानों में महिला स्वयं सहायता समूह गोबर से इको फ्रेंडली पेंट बना रही हैं. इस पेंट को बनाने में नहीं ज्यादा मेहनत आती है और ना ही ज्यादा पैसा खर्च होता है, बल्कि बेहद कम समय में महिलाओं ने 5000 लीटर नेचुरल पेंट तैयार कर दिया है, जिसकी बाजार में अच्छी-खासी बिक्री हो रही है.


अच्छी बात यह है कि मल्टीनेशनल कंपनियों के केमिकल पेंट के मुकाबले इस नेचुरल पेंट की कीमत बेहद कम है. गोबर से नेचुरल पेंट बनाने के इनोवेटिव आईडिया पर रायपुर, दुर्ग और कांकेर जिले की कुल 5 यूनिटों में काम चल रहा है.


क्यों खास है नेचुरल पेंट 
आपको जानकर हैरानी होगी कि मल्टीनेशनल कंपनियों के केमिकल आधारित पेंट के मुकाबले गोबर से बने इस नेचुरल पेंट की कीमत 32 से 40 फ़ीसदी तक कम है. यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली है, जिसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और नॉनटॉक्सिक प्रॉपर्टीज भी मौजूद है. इस पेंट की क्वालिटी को छत्तीसगढ़ प्रशासन ने भी समझा है, इसलिए अब इस पेंट से छत्तीसगढ़ के सारे सरकारी भवनों की रंगाई-पुताई की जाएगी.


कितना खर्चा आएगा 
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के हीरापुर और जरवाय गौठानों में भी गोबर से पेंट और पुट्ठी बनाई जा रही है. यहां करीब 25 लाख की लागत से यूनिट लगाई गई है, जिसमें गोबर से पेंट बनाने की पांच मशीनें है.


इन मशीनों में 8 घंटे के अंदर करीब 1000 लीटर नेचुरल पेंट तैयार किया जाता है, जो बिल्कुल मल्टीनेशनल कंपनियों के पेंट जैसा ही है, हालांकि गोबर से तैयार हुआ है, इसलिए इस पेंट की कीमत बेहद कम है.


यहां स्वयं सहायता समूह की महिलाएं 50 किलो गोबर से 100 लीटर तक पेंट तैयार कर रही हैं. इन यूनिटों में बने डिस्टेंपर की कीमत 130 रुपये निर्धारित की गई है, जबकि नेचुरल पेंट, पुट्टी और प्राइमर को बड़ी कंपनियों के 400 रुपये लीटर से अधिक कीमत वाले पेंट के मुकाबले आधे दाम पर बेचा जा रहा है.


कैसे बनाया जाता है नेचुरल पेंट 
छत्तीसगढ़ के गौठानों में हुई एक मीडिया कवरेज के मुताबिक, गोबर से पेंट बनाने के लिए सबसे पहले यूनिट में गोबर और पानी का मिश्रण बनाया जाता है. करीब 2 घंटे तक गोबर से तैयार घोल को भी वाटर कलरिंग मशीन में डाला जाता है, जिसमें वर्णक रंग, एक्रेलिक पाउडर, टाइटेनियम डाइऑक्साइड, सफेद रंग का बाइंडर, कैल्शियम हाइड्रोक्साइड जैसी कई चीजों को हाई स्पीड डिस्पेंसर मशीन में मिक्स किया जाता है.


इससे वॉटर कलर पेंट तैयार होता है और इसे ही सुखाकर पुट्टी बनाई जाती है. जब यह प्रोडक्ट बन के तैयार हो जाते हैं तो 2 से 3 दिन के अंदर इनकी पैकेजिंग करके बाजार में बेच दिया जाता है. अच्छी बात यह है कि लोग इस पेंट को खरीदने में काफी रूचि दिखा रहे हैं.


कितनी कीमत है पेंट की
इमल्शन पेंट की कीमत 225 रुपये प्रति लीटर बताई जा रही है. इसे 1 लीटर, 2 लीटर, 4 लाटर और 10 लीटर की पैकेजिंग में उपलब्ध करवाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के जरवाय गौठान में यह काम लक्ष्मी ऑर्गेनिक संस्थान देख रही है.


इस यूनिट में रोजाना 2,000 लीटर पेंट बनाया जा रहा है, जिसे बाजार मांग के हिसाब से 5,000 लीटर तक बढ़ाया जा सकता है. यहां की यूनिट में महिलाओं ने 1400 लीटर पेंट बनाया है, जिसमें 373 लीटर गोबर के पेंट की बिक्री हो चुकी है. इससे महिला स्वयं सहायता समूह को करीब 75,525 रुपये की आमदनी हुई है.


आमतौर पर गोबर से आंगन की पुताई को शुभ माना जाता है. इसी तर्ज पर आप लोग गोबर के पेंट को भी घर के लिए अच्छा और इको फ्रेंडली मान रहे हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में गोबर से बना यह इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स मल्टीनेशनल कंपनियों के केमिकल आधारित पेंट्स को टक्कर दे सकता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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