Chilli Production: यह साल देश के किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा. बाढ़, बारिश और सूखे ने जमकर किसानों को नुकसान पहुंचाया. बारिश ने किसानों की करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद कर दी. बारिश की मार से किसान अभी तक उभरे नहीं है. अब किसानों की फसलों पर कीटों का हमला शुरू हो गया है. महाराष्ट्र में कीटों ने हाल में पपीते की फसल को खासा नुकसान पहुंचाया था. अब मिर्च की फसल कीटों ने बर्बाद करनी शुरू कर दी है. लाखों रुपये की फसल नुकसान होने से किसान परेशान है. 


मिर्च बर्बाद कर रहा ब्लाक थ्रिप कीट


महाराष्ट्र में हाल में फसलों पर फंगल वायरल अटैक देखने को मिला था. अब कुछ फसलों पर कीटों का हमला सामने आ रहा है. राज्य में जिस कीट ने मिर्च की पफसल को बर्बाद करना शुरू किया है. उसका नाम ब्लाक थ्रिप बताया जा रहा है. इस कीट के हमले के कारण मिर्च उत्पादन में भारी कम देखने को मिली है. इसके अलावा बोकड़ा बीमारी, पपड़ी, मुरदा, बोकड़िया रोग भी मिर्च को नुकसान पहुंचा रही है. अधिकारियों के अनुसार, स्टेट के भंडारा जिले में इस कीट का प्रकोप अधिक देखने को मिला है. 


13-14 रुपये प्रति किलो हुए मिर्च के दाम
महाराष्ट्र में होने वाले मिर्चाें को अन्य राज्यों में भी एक्सपोर्ट किया जाता है. दिल्ली, बंग्लौर  और देश के अन्य हिस्से में भी यहां की मिर्च भेजी जा रही है. जानकारों का कहना है कि भंडारा जिले में पैदा होने वाली मिर्च का भाव 70 से 80 रुपये प्रति किलो हुआ करता था. लेकिन इस साल कीटों के हमले के चलते मिर्च की क्वालिटी खराब हुई है. इसी कारण मिर्च के भाव तेजी से गिर गए हैं. अब मिर्च कहीं 13 रुपये किलो, कहीं 14 तो कहीं, 15 रुपये से लेकर 18 रुपये तक बिक रही है. 


कैसे नुकसान कर रहा कीट
राज्य के कई जिलों में इस कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है. कीट अटैक करने के बाद मिर्च सड़ने लगती है. कई बार सूख जाती है. मिर्च पर धब्बे भी देखने को मिल रही है. इस कीट और अन्य रोगों के कारण मिर्च की क्वालिटी बेहद खराब हो गई है. किसान खेतों से मिर्च नहीं तोड़ रहा है. यदि मिर्च तोड़कर ले जा रहे हैं तो उन्हें मंडी में कारेाबारी नहीं खरीद कर रहे हैं. इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है. 


मंडियों में नहीं पहुंच रही मिर्च
नंदुरबार कृषि उपज मंडी समिति महाराष्ट्र की बड़ी मंडियों में से एक है. इसे दूसरी सबसे बड़ी मिर्च मंडी के रूप में देखा जाता है. इस मंडी में भी मिर्च की आवक तेजी से घटी है. कारोबारियों का कहना है कि मंडी में जो मिर्च आ रही है. उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है. इस कारण आम कस्टूमर उसे नहीं खरीद रहा है. इसी कारण मंडी कारोबारी भी मिर्च लेने से हाथ पीछे खींच रहे हैं. जैसे ही अच्छी मिर्च आनी शुरू होगी. खरीद बढ़ जाएगी. पिछले साल की तुलना में इस साल मिर्च प्रॉडक्शन में 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.  पिछले वर्ष की तुलना में इस साल मिर्च का उत्पादन में 50 प्रतिशत की कमी आई है.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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