Lychee Production In Bihar: भारत के अलग अलग राज्यों में किसान अलग अलग खेती कर बंपर कमाई करते हैं. वहीं, काफी किसान ऐसे होते हैं, जोकि खेती मेें अलग तरह का प्रयोग करके देखते हैं. फलों की खेती भी किसानों के लिए ऐसे ही प्रयोग हैं. बिहार में बड़े पैमाने पर किसान लीची की खेती करते हैं. इस खेती से किसान अच्छी कमाई भी कर लेते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि किसान लीची से कमाई ही करते हैं. उन्हें खासा नुकसान भी हो जाता है. बिहार में ये साल लीची उत्पादन के मामले में अच्छा नहीं रहा है. 


बिहार में 60 प्रतिशत तक चाईना लीची उत्पादन प्रभावित


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों में लीची की खेती की जाती है. हर साल किसान मोटी कमाई करते हैं. मगर इस साल किसानों को खासा नुकसान हो रहा है. राज्य में होने वाली चाईना लीची का उत्पादन बहुत अधिक प्रभावित हुआ है. स्थानीय किसानो ंका कहना है कि राज्य में भंडारण की सुविधा नहीं है. इसी कारण इनको सुरक्षित तरीके से राज्य में नहीं रखा जा पा रहा है. इस साल शाही लीची का उत्पादन तो ठीक है. मगर चाइना लीची का उत्पादन 50 से 60 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है. 


37 हजार हेक्टेयर में होती है लीची


बिहार में पूरे देश का करीब 42 प्रतिशत तक लीची उत्पादन होता है. राज्य के 26 जिलों में लीची होती है. यहां 37 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लीची उगाई जाती है. आंकड़ों में उत्पादन 3.08 लाख मीट्रिक टन है. बिहार में प्रति हेक्टेयर 8.40 मीट्रिक टन उत्पादन होत ाहै. वहीं, राज्य में पैदा की जाने वाली शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है. 


गर्मी बढ़ने से प्रभावित हुई लीची


बदलते मौसम का असर लीची उत्पादन पर पड़ा है. स्थानीय किसानों का कहना है कि बिहार में शाही, चाईना, अर्ली बेदाना प्रजाति की लीची होती है. इस साल किसानों को सभी प्रजातियों की बंपर पैदावार होने की उम्मीद थी. मगर शाही लीची का उत्पादन तो ठीक है, लेकिन लीची का उत्पादन 50 ससे 60 प्रतिशत तक गिर गया है. लीची पर भौर नहीं देखने को मिल रहा है. इसके पीछे वजह है कि जब शाही लीची के पकने के मौसम में मौसम ठंडा रहा, जबकि चाईना लीची की पैदावार बढ़ी तो मौसम गर्म हो गया. इससे लीची का उत्पादन प्रभावित हुआ है. 


26 जिलों में होता है लीची का उत्पादन


बिहार की मिटटी और एनवायरमेंट लीची उत्पादन के लिए अनुकूल है. इसी कारण राज्य के 26 जिलों में लीची पैदा होती है. प्रमुख जिलों में मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज, शिवहर, मधुबनी, सीवान, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, सारण, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर, बांका, जमुई, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, लखीसराय, बेगूसराय शामिल है. मौजूदा समय में करीब 45 हजार किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं. 


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