Animal Husbandry: बकरीद आते ही ज्यादा वजन वाले बकरों की मांग बढ़ जाती है. भारतीय बाजार की बात करें तो अच्छी क्वालिटी के दूध और मीट प्रोडक्शन के लिए बरबरी, जमनापरी, जमनापरी, सोजात और ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरों को काफी पसंद किया जाता है. इनकी पैदाईश के लिए बकरियों को भी खूब खिलाया-पिलाया जाता है और मेमनों को एक से डेढ़ साल में तैयार करके बाजार में बेच दिया जाता है, लेकिन कई बार वजन कम रहने की वजह से मेहनत के मुताबिक दाम नहीं मिल पाते. बकरी पालने वाले लोग अकसर इन चुनौतियों से जूझते हैं.


इसी समस्या के समाधान के लिए मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG) में एक रिसर्च चल रही है, जो लगभग अपने अंतिम पड़ाव पर है. इस रिसर्च के नतीजे आते ही सबसे ज्यादा फायदा मीट के लिए बकरा-बकरी पालने वाले लोगों को मिलेगा.


इस रिसर्च को लेकर सीआईआरजी के वैज्ञानिकों का दावा है कि एक साल में यह शोध पूरा हो जाएगा, जिससे बकरी पालने वाले किसानों की इनकम को भी दोगुना करने में खास मदद मिलेगी.


कौन-सी है यह तकनीक
आपको भी जानकर हैरानी हो रही होगी कि आखिर ये कौन-सी तकनीक है, जिससे बकरे-बकरियों का वजन लगभग डबल हो जाएगा? तो आपको बता दें कि यह जीन एडिटिंग है, जिस पर सीआईआरजी के दैहिकी जनन और प्रबंधन विभाग में काम चल रहा है.


किसान तक की रिपोर्ट में सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट एसपी सिंह बताते हैं कि एचओडी एसडी खर्चे के निर्देशन में 1.5 साल से जीन एडिटिंग तकनीक पर काम चल रहा है, जिसमें बकरे और बकरियों की नस्लों के पुराने जीन को एडिट किया जा रहा है. 


क्या है ये एडिटिंग जीन प्रोसेस
इस प्रोसेस के दौरान पुराने जीन को हटा दिया जाता है, जिनसे नस्ल का वजन 25 किलो तक ही हो. इसके बाद एडिट किए गए जीन को बकरियों में ट्रांसप्लांट किया जाता है. अब यह बकरी एडिट किए गए जीन से ज्यादा वजन वाले बकरे को जन्म देगी.


वैज्ञानिकों ने बताया कि एडिट जीन वाला मेमना ही आगे बढ़ेगा और दूसरे बच्चों को जन्म देगा. इस तरह बकरे-बकरियों का वजन 25 से 50 किलोग्राम तक बढ़ाया जा सकता है. आपको बता दें कि इन तकनीक के इस्तेमाल से कई बकरियों की प्रेगनेंसी सक्सेसफुल रही है और इस पर रिसर्च अपने अंतिम पड़ाव पर है.


नस्ल के हिसाब से बढ़ जाएगा बकरे वजन
इस रिसर्च को लेकर सीआईआरजी के वैज्ञानिक एसपी सिंह ने विस्तार से जानकारी दी कि एडिट किए जीन से पैदा हुआ मेमना जैसे-जैसे बड़ा होगा, उसका वजन भी उसकी नस्ल के हिसाब से अधिक बढ़ता जाएगा. जब ये व्यस्क हो जाएगा तो लैब में एजिट जीन वाले बकरे के मीट का परीक्षण होगा.


इस जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि एडिट जीन से तैयार एक खास नस्ल के बकरे के मीट और साधारण बकरे के मीट में क्या अंतर है. इस तरह बकरी-बकरा का वजन बढ़ाने वाली जीन एडिटिंग रिसर्च के परिणाम सामने आ जाएंगे.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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