CLimate Change Effect On Crop: पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन देखने को मिला है. यह बदलाव देश ही नहीं, बल्कि वैश्विक लेवल पर है. अधिक गर्मी, कम सर्दी, कभी अधिक बारिश, और अधिक सर्दी. विशेषज्ञ इसकी वजह जलवायु परिवर्तन ही है. जलवायु परिवर्तन के असर से ही मौसम में बदलाव देखने को मिले हैं. मौसम के कारण फसल चक्र के समय पर संकट मंडराने लगा है.


खुद इसको लेकर साइंटिस्ट और विशेषज्ञ चिंतित हैं. कभी अधिक गर्मी, बारिश और सूखा से फसलों को नुकसान होता है. लाखों रुपये की चोट फसल नुकसान के रूप में किसान की जेब पर पड़ती है. साइंटिस्ट किसानों की मदद के लिए फसलों की ऐसी ही प्रजातियां विकसित करने में लगे हैं. जलवायु परिवर्तन जिनका कुछ बिगाड़ नहीं पाता है.


फसलों की 1752 प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन बेअसर


एग्रीकल्चर के क्षेत्र में लाभ और हानि के मामले में क्लाइमेंट चेंज होना बड़ा टॉपिक है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) समेत अन्य एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीटयूट जलवायु परिवर्तन को लेकर मंथन करते रहते हैं. कभी बाढ़, बारिश, भयंकर लू और सूखे की नौबत आई तो फसलों को कैसे बचाया जाएगा. लेकिन अच्छी बात यह है कि इन मुददों पर विचार इन संस्थानों ने काफी ऐसी प्रजातियां विकसित कर दी हैं, जिनपर जलवायु परिवर्तन बेअसर हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू कृषि शोध संस्थानों में वर्ष 2014 से अब तक विभिन्न फसलों की 2122 प्रजातियां विकसित की हैं. इनमें से 1752 ऐसी प्रजातियां हैं. इनपर जलवायु परिवर्तन का कोई असर नहीं पड़ेगा. 


देश में 48 स्थानों पर पहुंचाई गई टेक्नोलॉजी


जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को लेकर केंद्र सरकार भी गंभीर है. इससे देश में फसलों को नुकसान न हो. इसको लेकर नई तकनीक विकसित की जा रही हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मंडिकल रिसर्च एवं अन्य स्थानों की ओर से ऐसी ही तकनीक विकसित की गई हैं. इन तकनीकों को विकसित कर देश के 68 स्थान विशेष पर किसानों तक पहुंचाई जा रही हैं. ये सभी फसल पर जलवायु परिवर्तन को बेअसर करने वाली स्थिति से जुड़ी हैं. 


ICAR ने लांच किया निक्रा है प्रॉजक्ट


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कृषि मंत्रालय के अधीन इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई में जुटा है. आईसीएआर ने एक फ्लैगशिप नेटवर्क प्रोजेक्ट लांच किया है, जिसे नेशनल इनोवेशंस इन क्लाइमेट रेसिलिएंट एग्रीकल्चर (निक्रा) कहा जाता है. इसमें कृषि क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर जलवायु परिवर्तन के असर की स्टडी की जा रही है. देखा जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से कितना नुकसान फसलों को और किस तरह से होता है. फसलों के साथ पशुधन विकास, बागवानी और मत्स्य क्षेत्र को शामिल किया गया है. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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