Coarse Grain Health Benefit: मोटे अनाज का बड़ा उत्पादन देश में होता है. मोटा अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. लेकिन देश में आम पब्लिक इसका उतना सेवन नहीं कर पाती है. जितना उसे करना चाहिए. लोगों की थाली तक मोटा अनाज पहुंच सके. इसी को लेकर बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) ने तैयारी शुरू कर दी है. मोटा अनाज से ऐसे ही उत्पादों को तैयार किया जाएगा. जिससे घर घर में लोग इसे बड़े चाव से खा सकें.
मोटा अनाज से मैदा बनाने की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, BAU के साइंटिस्ट का कहना है कि मोटा अनाज से मैदा बनाई जाएगी. इसके अलावा अन्य प्रोडेक्ट भी तैयार किए जाएंगे. वैज्ञानिक 75% मोटे अनाज ज्वार, बाजरा और 25% गेहूं के आटा से प्रोडेक्ट तैयार करेंगे. वैज्ञानिक एक चीज और खास तौर पर परखेंगे कि अभी तक जो उत्पाद तैयार किए जाते हैं. उनके जल्दी खराब होने का खतरा अधिक रहता है. अब जो रिसर्च चल रही है. उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके. इससे मोटा अनाज का प्रोडक्ट जल्दी खराब नहीं होगा. इसी को लेकर कवायद जारी है.
तंदरुस्ती के लिए खाएं मोटा अनाज
एक्सपर्ट कहते हैं कि मोटे अनाज में बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी, सांवा, कोदो, कंगनी, कुटकी शामिल हैं. मोटे अनाज पहले हर घर में खाये जाया करते थे. लेकिन लाइफ स्टाइल बदलने और फास्ट फूड के प्रति बढ़ते रुझान के कारण लोगों ने मोटे अनाज से दूरी बना ली. अगर इसके पोषक तत्वों की बात करें तो मोटे अनाजों में चावल की तुलना में एक से दो गुना प्रोटीन, 50 गुना रेशे, 10 गुना खनिज, 20 गुना आयरन और 30 गुना अधिक कैल्शियम पाया जाता है.
वर्ष 2023 मिलेट ईयर घोषित
कोविड के बाद से इम्यून सिस्टम को लोग तरजीह देने लगे हैं. पौष्टिकता कम होने के कारण इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो रहा है. मोटे अनाज पौष्टिकता से भरपूर होते हैं. इसी को देखते हुए वर्ष 2023 को विश्व स्तर पर मिलेट वर्ष घोषित किया गया है. बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि मोटे अनाजों से नए उत्पाद बनाने पर रिसर्च जारी है. इसको लेकर स्थानीय युवाओं और निर्माण एजेंसियों को जल्द ही प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्हें मोटे अनाज की अहमियत के बारे में बताया जाएगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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