Millets Year 2023: भारत सरकार की पैरवी पर यूनाइटेड नेशन वर्ष 2023 को मिलेट ईयर के रूप में घोषित किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने मोटा अनाज को प्रोत्साहन देने की खुद पैरवी की है. इसका असर देश में ग्राउंड लेवल पर भी दिख रहा है. केंद्र के सहयोग से सभी राज्य मिलेट उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं. इसका असर भी सभी जगह दिख रहा है. मोटा अनाज उत्पादन और खरीद को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं. वो उत्साह बढ़ाने वाले हैं. 


50 लाख टन तक हो सकती है खरीद


देश के 9 राज्यों ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए मिशन प्रोग्राम शुरू किया है. इस मिशन का असर यह हुआ है कि देश में मोटे अनाज की सरकारी खरीद में 8 गुना तक बढ़ोत्तरी हो सकती है. अभी तक करीब 6 से 7 लाख टन तक खरीदारी हो रही है. आने वाले समय में यह बढ़कर 50 लाख टन तक हो सकती है. 


मिशन प्रोग्राम में ये 9 राज्य हैं शामिल


मिशन प्रोग्राम मोटे अनाज को बढ़ावा देने को लेकर है. इसमें 9 राज्य शामिल किए गए हैं. इनमें हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, तमिलनाडु और ओडिशा शामिल हैं. सभी राज्य आम लोग औैर किसानों को भी मोटा अनाज को लेकर जागरूक कर रहे हैं. 


सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बंटेगा मोटा अनाज


केंद्र सरकार की कोशिश है कि मिशन प्रोग्राम का दायरा बढ़ाया जाए. इसे उस तबके से भी जोड़ा जाए जो गरीब और वंचित है. लिहाजा केंद्र सरकार मोटे अनाज को सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानि पीडीएस के तहत बांटने की प्लानिंग कर रही हैं. केंद्र सरकार किसानों से मोटे अनाज की खरीदारी भी करेगी. 


मोटे अनाज की खरीद पर ध्यान दें बड़े उत्पादक राज्य


केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान बाजरा का सबसे बड़ा और ज्वार का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. सभी राज्यों से अपील की गई है कि मोटा अनाज की खरीद पर अधिक ध्यान देना चाहिए. राजस्थान सरकार किसानों से मोटे अनाज की खरीदारी नहीं कर रही है, जबकि उसे करनी चाहिए. कृषि मंत्रालय विभिन्न राज्यों में उगाए जाने वाले बाजरे की (12-13 स्थानीय किस्में) को एमएसपी पर लाने की योजना बना रहा है. 



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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