Crop Pollination & Honey Farming: मधुमक्खियों (Honey Bees) को शहद का मजदूर भी कहते हैं, ये छोटी कीट-पतगें फसलों का परागण (Crop Pollination) में मदद करती हैं और बिना किसी भुगतान के किसानों को शहद पैदा (Honey Production)  करके देती हैं. भारत को शहद का बड़ा उत्पादक देश कहते हैं, जहां से करीब 80 फीसदी शहद का दुनियाभर में निर्यात हो रहा है. बाजार में इसकी डिमांग काफी बढ़ रही है, इसलिये में मधुमक्खियों के जरिये शहद उत्पादन को पीली क्रांति (Yellow Revolution) का नाम भी दिया गया है.


जहां शहद को मानव स्वास्थ्य के लिये काफी लाभदायक मानते हैं तो वहीं ये किसानों के लिये भी इनकम बूस्टर (Honey is Income Booster for Farmers) का काम कर रहा है.  यही कारण है कि किसानों को खेती-किसानी के साथ-साथ मधुमक्खी पालन (Bee Keeping) करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है, जिससे फसलों का उत्पादन और किसानों का आय को बढ़ाया जा सके.


क्यों जरूरी है मधुमक्खी पालन (Why Honey Bee Keeping is Important)
मधुमक्खियों को जैव विविधिकरण का सदस्य कीट मानते हैं और इन्हें फसलों का मित्र कीट भी कहते हैं, जो फसलों के परागण में सहायक होते हैं. आधुनिकता के दौर में पारंपरिक फसलों का उत्पादन कम होता जा रहा है, जिससके पीछे मधुमक्खियों और परागण करने वाले मित्र कीटों की कमी जिम्मेदार है. ऐसे में खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन करने पर कृषि उत्पादन के साथ-साथ शहद उत्पादन में भी बढोत्तरी होती है.




इन फसलों के साथ करें मधुमक्खी पालन (Bee Keeping & Honey Farming with These Crops) 
फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिये किसान चाहें तो बागवानी, पारंपरिक, चारा फसलों के साथ मधुमक्खी पालन का काम कर सकते हैं.



  • बात करें फल और मेवा फसलों की तो बादाम, सेब, खुबानी, आडू, स्ट्राबेरी, खट्टे फल, एवं लीची के बागों के साथ शहद की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

  • सब्जी फसलों में पत्ता गोभी, धनिया, खीरा, फूलगोभी, गाजर, नींबू, प्याज, कद्दू, खरबूज, शलजम, एवं हल्दी के साथ मधुमक्खी पालन कर सकते हैं.

  • तिलहन फसलें के साथ मधुमक्खी पालन जरूर करना चाहिये, इन फसलों में सुरजमुखी, सरसों, कुसुम, नाइजर, सफेद सरसों, तिल आदि शामिल हैं.

  • चारा फसलों के साथ भी मधुमक्खी पालन करने पर फायदा होता है. इन फसलों में लुसेरन और क्लोवर घास शामिल है.




फसलों का उत्पादन बढ़ाते हैं शहद के मजदूर (Honey workers increase the production of crops) 
रिसर्च के मुताबिक, फसलों का उत्पादन बढ़ाने में जितना खाद-उर्वरक और कृषि कार्यों की जरूरत होती है, उतनी ही जरूरत इन नन्हे मजदूरों की भी होती है.



  • इनकी मदद से सरसों की फसल का 44 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ सकते हैं.

  • सूरजमुखी जैसी तिलहनी फसलों का भी 32 से 45 प्रतिशत तक क्वालिटी उत्पादन ले सकते हैं.

  • कपास की फसल के साथ मधुमक्खी पालन करने पर 17 से 20 फीसदी तक अधिक उत्पादन दर्ज किया गया है.

  • पशु चारा फसल लुसेरने घास में भी 110 फीसदी तक बेहतर उत्पादन ले सकते हैं. 

  • प्याज की फसल के साथ मधुमक्खी पालन करके 90 प्रतिशत तक अधिक उपज  मिल सकती है.

  • सेब के बागों के साथ मधुमक्खी पालन करने पर उपज में 45 फीसदी तक की वृद्धि होती है.


इन बातों का रखें खास ख्याल (Precaution for Honey Farming & Bee Keeping) 
मधुमक्खी पालन (Bee Keeping)  करते समय कुछ बातों का खास क्याल रखना होता है, ताकि जिससे मधुमक्खियों के साथ-साथ फसल का भी फायदा हो सके.  



  • मधुमक्खियों की सुविधा के लिये शहद के बक्सों को खेत को 1 किलोमीटर के दाये में ही रखें, जिससे मधुमक्खियों का अधिक मेहनत न पड़े.

  • फूलदार पौधों के पास ही प्रवासी मधुमक्खियों की कॉलोनी को बसायें और इन्हें बीमारियों से बचाने के लिये  कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें.

  • अगस्त से सिंतबर के बीच का समय मधुमक्खी पालन के लिये उपयुक्त रहता है, इस दौरान फसलों का परागण (Crop Pollination)और शहद उत्पादन (Honey Farming) बेहतर ढंग से हो जाता है.

  • फूलों का मौसम बीत जाने और फसलों की कटाई के बाद मधुमक्खियों से शहद निकालना चाहिये. 


मधुमक्खी पालन शुरु करने से पहले सही ट्रेनिंग (Training for Bee Keeping) की जरूरत होती है, ताकि कम संसाधनों और कम लागत में भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकें.




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