Traditional crops of India: भारत में युगों-युगों से खेती-किसानी प्रारंभिक व्यवसाय (Primary Business) के रूप में चला आ रहा है. बेशक पुरानी खेती (Traditional Farming) और आज की आधुनिक खेती (Modern Farming) में जमीन-आसमान का अंतर है, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था (Agriculture Economy) में किसानों का योगदान भी बढ़ता जा रहा है. इन रुझानों के पीछे पारंपरिक फसलों का अहम योगदान है. ये वहीं फसलें हैं जिन्हें उगाकर देश-दुनिया की डिमांड को पूरा किया जा रहा है. ये वो पांच फसलें शामिल है, जिनसे हर रसोई पूरी होती है. हम बात कर रहे हैं पारंपरिक फसलों (Indian Traditional Crops) के बारे में, जिनके लिये भारत बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश बना है.
चावल की खेती (Paddy Cultivation)
दुनियाभर में चावल की काफी खपत होती है और भारत इसके दूसरे बड़े उत्पदाक के रूप में काबिज हुआ है. दुनियाभर में होने वाली चावल की खेती का अकेला एक तिहाई हिस्सा भारत में उगाया जाता है. इतना ही नहीं, विश्व के कई बड़े-बड़े देशों में भारत ही चावल खाया जाता है. यह खरीफ सीजन की प्रमुख नकदी फसल है, जिसकी खेती भारत के आधे से ज्यादा किसान करते हैं. पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और बिहार आदि इसके बड़े उत्पदाक राज्यों में शुमार हैं.
गेहूं की खेती (Wheat Cultivation)
गेहूं को रबी सीजन की प्रमुख नकदी फसल कहते हैं. भारत में गेहूं की सबसे ज्यादा खपत होती है, जहां रोटी से लेकर कन्फेशनरी प्रॉडक्ट्स तक गेहूं से बनाये जाते हैं. इसकी खेती कम तापमान यानी सर्द मौसम में की जाती है, जिसके लिये 70 से 100 सेमी बारिश की जरूरत होती है. भारत को गेहूं का भी दूसरा बड़ा उत्पादक देश कहते हैं, जो कई देशों में इसकी खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करता है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्यों को गेहूं के बड़े उत्पादक के तौर पर जानते हैं.
मक्का की खेती (Maize Cultivation)
भारत में मक्का की खेती चारे और अनाज दोनों के लिहाज से की जाती है. ये खरीफ सीजन की प्रमुख नकदी फसल तो है ही, साथ ही चावल और गेहूं के बाद सबसे अधिक खपत वाली फसल भी है. भारत को मक्का के सातवें बड़े उत्पादक देश के तौर पर जानते हैं. जहां कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु से लेकर तेलंगाना के किसान भी बड़े पैमाने पर मक्का उपजाते हैं. इसकी बेहतर पैदावार के लिये अच्छी क्वालिटी के बीज से लेकर सभी कृषि कार्य बड़े ही सावधानी से किये जाते हैं.
दालों की खेती (Pulses Cultivation)
भारत में दालों की खेती के साथ-साथ इसकी खपत भी बड़े पैमाने पर होती है. कुछ समय पहले तक ज्यादातर दालों का आयात होता था, लेकिन अब भारत के किसानों को दलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिये कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. भारत में अरहर, उड़द, मूंग, मसूर, मटर और चना आदि दलहनी फसलें उगाई जाती हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक आदि राज्यों को दलहन के अहम उत्पादकों के तौर पर जानते हैं.
जूट की खेती (Jute Cultivation)
भारत की प्रमुख नकदी फसलों में जूट (Jute) का नाम भी शीर्ष फसलों में लिया जाता है, जिससे बर्लेप, चटाई, रस्सियों, सूत, कालीन, हेस्सियन या बारदानी के कपड़े बनाये और निर्यात किये जाते हैं. जूट को दुनियाभर में गोल्डन फाइबर (Golden Fiber) के नाम से भी जानते हैं, जिसकी खेती के लिये अधिक पानी और जलोढ़ मिट्टी की जरूरत होती है. पश्चिम बंगाल (West Bengal) जूट का बड़ा उत्पादक राज्य है. इसके अलाव बिहार, असम, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा समेत भारत के कई पूर्वी राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
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