Commercial Farming of Palmarosa Grass: भारत में खाद्यान्न और बागवानी फसलों (Horticulture) के साथ-साथ अब हर्बल खेती का भी विस्तार हो रहा है. ज्यादातर किसान अब औषधीय फसलों (Medicinal Plant), जड़ी-बूटियों (Herbal Plants) और खुशबूदार पौधों (Aromatic Plants) की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं. इन फसलों की खेती का सबसे बड़ा फायदा यही है कि बंजर जमीन (Barren Field) और कम खाद-पानी में भी ये करोड़ों का मुनाफा दे जाती है. इसलिये सरकार भी अब खुशबूदार पौधों (Aromatic Plants) की खेती के लिये सब्सिडी और ट्रेनिंग कार्यक्रम चला रही है, जिसका लाभ काफी किसान ले रहे हैं. अधिक मुनाफा देने वाली ऐसी ही खुशबू फसलों में शामिल है पामारोजा घास(Pamarosa Grass), जो किसानों के लिये अगले 6 साल तक मोटी आमदनी का जरिया बन सकती है.


पामारोजा की खेती (Pamarosa Cultivation)
पामारोजा घास को गुलाब घास, भारतीय गेरियम, अदरक घास और रोशा घास आदि नामों से भी जानते हैं. इस घास की खुशबू काफी हद तक गुलाब जैसी होती है, जिसका प्रयोग अरोमाथेरेपी इलाज में किया जाता है. यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी मांग रहती है. इसकी खेती किसानों के लिये फायदे का सौदा साबित हो सकती है. 



मिट्टी और किस्में (Soil & Species)
वैसे तो पामारोजा घास की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी और जलवायु में की जा सकती है. सिंचित इलाकों में इससे अधिक धास और तेल निकाल सकते हैं. वहीं भुरभुरी बंजर भूमि और कम बारिश वाले असिंचित इलाकों में भी इसका ठीक-ठाक उत्पादन मिल जाता है. इससे किसानों को बंजर जमीन में से पैसा कमाने का मौका मिल जाता है. पामारोजा की उन्नत  किस्मों में मोतिया, सोफिया, तृप्ता, तृष्णा, पीआरसी-1, आईडब्ल्यू 31245, आईडब्ल्यू 3244, ओपीडी-1, ओपीडी-2, आदि शामिल हैं, लेकिन इसकी खेती से पहले मिट्टी की जांच और विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा जरूर करना चाहिये.



  • पामारोजा की फसल में कीड़े और बीमारियों का खतरा भी नहीं रहता, जिसके कारण इसकी देखभाल और कटाई के बाद स्टोरेज और मार्केटिंग भी आसान हो जाती है.

  • अच्छी बारिश वाले इलाकों में इसकी फसल को अलग से पानी देने की जरूरत भी नहीं होती, क्योंकि इन इलाकों में इसकी सिंचाई पूरी तरह से बारिश पर निर्भर करती है.

  • असिंचित इलाकों में पामारोजा घास की अच्छी बढ़वार के लिये मिट्टी में नमी बनाये रखें और 10-12 दिन में सिंचाई का काम करते रहें.

  • घास की लंबाई 10-15 सेमी. होने पर इसकी कटाई कर ली जाती, जिसके बाद इसका स्टोरेज और मार्केटिंग में ज्यादा समस्या नहीं आती.

  • पामारोजा की खेती के साथ-साथ इसके तेल की प्रोसेसिंग करके डबल मुनाफा कमा सकते हैं.

  • तेल निकालने के बाद इसकी पत्तियों के बचे भाग को पशुओं को खिला सकते हैं, इससे पशुओं की सेहत भी बेहतर रहती है.



पामारोजा की प्रोसेसिंग और आमदनी (Pamarosa Oil Processing & Income)
बारिश वाले इलाकों में पामारोजा की घास (Pamarosa Grass) 40-45 किलोग्राम तक उत्पादन देती है. वहीं कम बारिश वाले बंजर इलाकों में भी 20-30 किलोग्राम तक घास की उपज मिल जाती है. इसकी व्यावसायिक खेती (Commercial Farming) करके अधिक आमदनी मिल सकती है, क्योंकि कई साबुन, तेल और कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनियां पामारोजा को हाथोंहाथ खरीद लेती हैं. एक हेक्टेयर खेत में पामारोजा की खेती (Pamarosa Farming) करके डेढ लाख रुपये तक की आमदनी कमा सकते हैं. बेकार पड़ी बंजर जमीन में से लाखों की आमदनी लेने के लिये पामारोजा घास की खेती बेहतरीन साधन है. इसकी प्रोसेसिंग (Pamarosa Processing) करने पर करीब 12-30 किग्रा तेल निकाल सकते हैं. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पामारोजा के तेल (Pamarosa Oil) की काफी मांग रहती है. कई कंपनियां पामारोजा घास की कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming) भी करवाती हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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