Cotton Crop Production: महाराष्ट्र में पपीते की फसल पर फंगल वायरस का हमला सामने आया था. इसकी वजह से किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. किसानों की पपीते की सारी फसलें बर्बाद हो गईं. अब महाराष्ट्र में ही कपास की फसल पर संकट मंडरा गया है. किसानों को लाखों रुपये का नुकसान कीटों के अटैक से हो रहा है. किसान परेशान हैं, करें तो क्या करें. किसानों ने स्टेट गवर्नमेंट से भी मदद की गुहार लगाई है.
काट ली 2 लाख हेक्टेयर कपास की फसल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में फसलों पर गुलाबी सुंडी कीटों का अटैक तेज़ी से बढ़ रहा है. राज्य के खानदेश में करीब दो लाख हेक्टेयर कपास को समय से पहले काट लिया गया है. किसानों का कहना है कि सुंडी के अटैक के कारण कपास की उत्पादन क्षमता कम हो गई है. कपास भी खराब निकल रही है. इससे कपास के दाम किसानों को कम मिलेंगे. किसानों को लाखों रुपये का नुकसान होने का अनुमान है
समय से पहले इसलिए काटी फसल
सुंडी कीट के अटैक के कारण किसानों के सामने इसके उत्पादन क्षमता प्रभावित हुई है. किसान ने जल्दी फसल काट ली है. किसानों का कहना है कि इस साल पहले बारिश पड़ी थी. तब कपास उत्पादन क्षमता प्रभावित हुई है. अब कीटों के हमले ने फसल को बर्बाद करना शुरू कर दिया है. चूंकि पफसल काटने से खेेत खाली हो रहे हैं. किसानों ने बेहतर उत्पादन पाने के लिए रबी सीजन की फसलों को बोना शुरू कर दिया है. किसानों ने बताया कि समय पर रबी फसल बोने से इनका उत्पादन बेहतर होगा और रेट भी सही मिल जाएंगे.
ये है खानदेश में कपास की स्थिति
खानदेश में हर साल 9 से 9.5 लाख हेक्टेयर में कपास बोया जाता है. इस साल जलगांव जनपद में 5 लाख 65 हजार हेक्टेयर, धुले में 2.5 लाख हेक्टेयर और नंदुरबार में करीब 1.5 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की गई थी. इसमें करीब 1.50 लाख हेक्टेयर फसल प्री-सीजन है. इसके अलावा करीब 2 लाख हेक्टेयर फसल पहले ही काट ली गई है. सुंडी का अटैक अभी भी फसलों पर जारी हैं. ऐसे में किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
दवा छिड़कने के बाद भी खतरा कम नहीं
किसानों के सामने एक दिक्कत यह है कि कीट से बचने के लिए किसान लगातार कपास की फसलों में दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं. बावजूद इसके कीटों का हमला कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. इसी कारण किसान पफसलों की लागत तक नहीं निकाल पाए हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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